नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सार्वजनिक रूप से खुले में पेशाब करने या पवित्र छवियों पर थूकने या उसके आसपास कचरा फेंकने तथा दीवारों पर देवी-देवताओं के चित्र लगाने पर रोक लगाने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर आदेश पारित करने की 19 दिसंबर, 2022 की तारीख तय की है। दिल्ली के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंदर शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सुब्रमणियम भी शामिल हैं, ने सबमिशन को नोट करने के बाद आदेश को सुरक्षित रखा है। याचिका के मुताबिक लोगों के खुले में पेशाब करने को रोकने के उपाय के तौर पर विभिन्न जगहों पर देवी-देवताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, ये उपाय बड़े पैमाने पर लोगों की धार्मिक भावनाओं को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
याचिकाकर्ता गौरांग गुप्ता, जो कि पेशे से वकील हैं, ने कहा कि ये छवियां हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए “पवित्र” हैं तथा भगवान की मूर्ति पर पेशाब करना, थूकना और कबाड़ फेंकना भगवान की तस्वीर की पवित्रता को अपवित्र करना माना जाता है। इस प्रकार, सार्वजनिक रूप से पेशाब करने, थूकने और कबाड़ फेंकने पर रोक लगाने के लिए भगवान की तस्वीरों का उपयोग करने की इस दुर्भावनापूर्ण प्रथा का जारी रहना भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 का घोर उल्लंघन है। भारत के सामाजिक ताने-बाने में धर्म एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है और ऐसे में पीएम 1 जोश( pm1josh) के लिए श्रद्धेय चित्रों का उपयोग बड़े पैमाने पर जनता की भावनाओं को आहत कर रहा है और इससे बड़े पैमाने पर समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
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