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क्या खुद को चर्चा में लाने के लिए तो धरना पर नहीं बैठ गए विधायक शशिभूषण

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Khabar365news

कमरा नहीं मिलने पर दिल्ली स्थित झारखंड भवन में भाजपा विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता धरना पर बैठ गए। उन्होंने दो कमरे बुक कराने का आवेदन दिया था। झारखंड भवन प्रशासन ने उनके लिए वहां एक ही कमरा उपलब्ध कराया। उनके पीए के लिए दूसरा कमरा होटल आर्क में देने की बात कही। समझाने की भी कोशिश की कि झारखंड भवन में कमरा फिलहाल उपलब्ध नहीं है। जो दो-तीन कमरे खाली हैं, उसे अति विशिष्ट लोगों के लिए सुरक्षित रखने की मजबूरी है। लेकिन मेहता नहीं मानें। वह गुस्से में आकर बैग-अटैची और सामान के साथ झारखंड भवन में धरना पर बैठ गए। उनकी नाराजगी बिजली की तरह दिल्ली से झारखंड तक पहुंची। इसके बाद आधिकारिक जानकारी ने पूरे मामले की कलई खोल दी है। 

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार झारखंड भवन में 22 कमरे हैं। वहां विधायकों, सांसदों, मंत्रियों, न्यायाधीशों, अधिकारियों का लगातार प्रवास होता रहता है। इस कारण झारखंड भवन में कमरे की हमेशा किल्लत रहती है। इसीलिए राज्य सरकार ने होटल आर्क में भी दस कमरे बुक कराए रखती है। ताकि जरूरत पड़ने पर वहां मंत्रियों, नेताओं, अधिकारियों के निजी कर्मियों या रिश्तेदारों को ठहराया जा सके। लेकिन यहां पर कुशवाहा शशिभूषण मेहता अड़ गए कि उनके पीए को भी दूसरा कमरा दिया जाए। वह भी झारखंड भवन में ही रहेगा। जबकि प्रोटोकॉल के अनुसार विधायक के पीए झारखंड भवन में ही कमरा पाने के लिए अधिकृत नहीं है। वह जोर जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं। यह अलग बात है कि झारखंड भवन में कमरा खाली नहीं होने के पीछे कुछ और भी कारण होते हैं। 

इधर भाजपा खेमें से कुशवाहा शशिभूषण मेहता के इस कदम के कई मायने बताए जाने लगे हैं। कहा जा रहा है कि झारखंड भवन में धरना पर बैठ कर उन्होंने वहां पार्टी लीडरशिप की नजर में अपने को लाने का प्रयास किया है। क्योंकि जल्द ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का मनोयन होना है। इससे पूर्व उनके समर्थकों ने उन्हें प्रतिपक्ष का नेता बनाने के लिए प्रदेश भाजपा मुख्यालय के समक्ष प्रदर्शन भी किया था। बाबूलाल मरांडी को प्रतिपक्ष का नेता बनाए जाने के बाद यह पद भर चुका है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली है। हालांकि चर्चा में बने रहने के लिए कुशवाहा शशिभूषण मेहता का यह कृत्य कोई नया नहीं है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी एक सामान्य घटना पर वह स्पीकर से उलझ पड़े थे। इससे पूर्व विधानसभा क्षेत्र पांकी में भी दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ाने का उन पर आरोप लगा था।

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