भारतीय प्रबंधन संस्थान रांची के राजभाषा प्रकोष्ठ की ओर से महान हिंदी साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की 145वीं जयंती को एक विशेष सांस्कृतिक संध्या के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर संस्थान की सांस्कृतिक समिति – ‘ड्रामेबाज़’ (द ड्रामा क्लब) की ओर से प्रेमचंद की चर्चित कहानी “मंत्र” पर आधारित एक सशक्त नाट्य प्रस्तुति मंचित की गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. कमल कुमार बोस, पूर्व विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, सेंट जेवियर्स कॉलेज रांची सह वरिष्ठ रंगकर्मी, ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज की। उन्होंने प्रबन्धन संसथान में हिंदी परिवेश की सराहना की। साथ ही हिंदी भाषा को आत्मीयता के साथ अपनाने की प्रेरणा दी।
विद्यार्थियों की ओर से प्रस्तुत नाटक “मंत्र” एक प्रसिद्ध डॉक्टर और उसकी पत्नी की अंतरात्मा के द्वंद्व को दर्शाता है। एक ओझा अपने बीमार बच्चे को लेकर डॉक्टर से सहायता की गुहार लगाता है, लेकिन डॉक्टर उसकी बात को हल्के में लेते हुए कहता है – “यह अभी हमारे खेलने का समय है”।
चिकित्सा के आभाव में बच्चे की मृत्यु हो जाती है। जबकि कुछ समय बाद डॉक्टर के बेटे को सांप दंश लग जाता है, डॉक्टर की दावा से लेकर झारफुक काम नहीं आती और सभी बच्चे को मृत घोषित कर देते हैं। जबकि ओझा को इस बात की भनक लगते ही डॉक्टर के पास पहुँच उसके बेटे की जान बचा लेता है। इसके बाद से डॉक्टर और उनकी पत्नी आत्मग्लानि से भर जाती है और यह घटना उसके मन को पूरी तरह झकझोर देता है। कहानी का अंत आत्मबोध और पश्चाताप की भावना से होता है, जब पत्नी यह निर्णय लेती है कि अगर चिकित्सा में करुणा और मानवता नहीं है, तो वह केवल एक दिखावा है। “मंत्र” एक ऐसी कथा बन जाती है, जो विज्ञान, वर्गभेद और नैतिकता के बीच गहरी बहस छेड़ती है और मानवता को सबसे ऊपर रखती है।
आयोजन के मौके पर डीन इइसी प्रो. अमित सचान समेत अन्य प्राध्यापक मौजूद थे।
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