कुड़मी समाज ने खुद को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर 20 सितंबर से रेल रोको आंदोलन की शुरुआत कर थी। राज्य के कई जिलों में भारी संख्या में आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक पर उतर आए थे, जिससे रेल परिचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ था। मुरी रेलवे स्टेशन पर भी भारी संख्या में कुड़मी समाज के लोग मौजूद थे। जिससे ट्रेनों की आवाजाही बाधित हो गई है।
इस आंदोलन को लेकर टोटेमिक कुड़मी एकता मंच के शीतल ओहदार ने जानकारी देते हुए बताया कि आंदोलनकारी मूरी स्टेशन देर रात हट गए थे. इसके बाद पारसनाथ और चंद्रपुरा स्टेशन से भी हट गए. वहीं उन्होंने यह भी बताया कि पूरे राज्य में कुल 15 रेलवे स्टेशन पर आंदोलन सफलतापूर्वक चला और अब भी धनबाद के प्रधानखंता रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारी जमे हुए हैं. समाज की याह मांग है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उनके एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात का समय तय करें. क्योंकि उनकी ST सूची में शामिल होने की मांग वाजिब है जसी 75 वर्षों से दबा कर रखा गया है।
नेताओं के समर्थन की बात करें तो आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो बीते कल मुरी रेलवे स्टेशन पहुंचे थे और आंदोलनरत लोगों का समर्थन किया और कहा कि समाज की यह बहुत पुरानी लड़ाई है और इसे जल्द पूरा करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने झामुमो पर भी निशाना साधा और कहा कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे। पहले के झामुमो नेताओं ने इस मुद्दे को स्वीकार भी था और चिंता भी जताई थी। लेकिन अब के नेता इससे स्वीकार क्यों नहीं कर रहे है। इसके अलावा JLKM नेता देवेंद्र नाथ महतो भी मुरी स्टेशन में आंदोलन के समर्थन में थे।
वहीं विधायक जयराम महतो भी इस आंदोलन के समर्थन में दिखे। वह पारसनाथ रेलवे स्टेशन पहुंचे और आंदोलन का समर्थन किया उन्होंने कहा, “राजनीतिक साजिश के तहत कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची से हटाया गया है, जिसे पुनः सूची में शामिल करने की उनकी मांग है। जयराम महतो ने बताया कि झारखंड के गठन के समय झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कुड़मी समाज को ST सूची में शामिल करने की मांग अपने मैनिफेस्टो में रखी थी। पदम श्री विजेता रामदयाल सिंह मुंडा और कोल्हान के दिग्गज नेता बागुन समय ने भी इस मांग का समर्थन किया है। यह आंदोलन केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक अस्तित्व की लड़ाई है।” जयराम महतो के अलावा पूर्व विधायक लंबोदर महतो, आजसू केंद्रीय महासचिव यशोदा देवी भी शामिल हुई थी।
वहीं बात करें भाजपा की तो बगोदर के विधायक नागेंद्र महतो ने भी इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया। वह पारसनाथ रेलवे स्टेशन पहुंचे और कहा, “कुड़मियों की इस माग को सरकार को पूरा करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यह समाज की काफी पुरानी मांग है। इसे राज्य और केंद्र सरकार दोनों को संज्ञान में लेना चाहिए। आजादी के पहले कुड़मी ST थे। लेकिन आजादी के बाद हुए जनगणना में उन्हें ST सूची से बाहर कर दिया गया। इन्हें इसलिए हटाया गया क्योंकि झारखंड में इंडस्ट्री लगाता था, CCL, BCCL जैसे संस्थानों को स्थापित करना था। कुड़मियों का जमीन झारखंड में सबसे अधिक है जहां इंडस्ट्री है। उस जमीन को हासिल करने के लिए ST सूची से कुड़मियों को अलग किया गया। लेकिन दोनों की परिभाषा एक है। CNT में जमीन बिक्री या बंधक नहीं रख सकते तो दविकास कैसे होगा। वहीं SPT में भी वही नियम है। लेकिन कुड़मियों को ST से लगा करके क्या विकास हुआ। आदिवासियों के जमीन भी CNT/SPT नियाम के तहत और कुड़मियों की भी। इसका मतलब पहले दोनों एक ही थे” आजसू के मांडू विधायक तिवासरी महतो चरही रेलवे स्टेशन और सांसद चंद्रप्रकाश जागेश्वर बिहार स्टेशन गोमिया, आजसू नेता ईचागढ़ विधानसभा के एनडीए प्रत्याशी रहे (2024) हरेलाल महतो हेंसालोंग स्टेशन के पास आंदोलन के समर्थन में दिखे थे।
कांग्रेस के बात करें तो पार्टी के नेता मांडू के पूर्व विधायक जयप्रकाश भाई पटेलने भी इस आंदोलन का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था, “झारखंड अलग राज्य बनने के बाद से उनके पिताजी टेकलाल महतो के साथ राजकिशोर महतो, शैलेंद महतो के नेतृत्व में यह मांग उठी थी।” उन्होंने भाजपा पर कुड़मी विरोधी का आरोप भी लगाया था। फिलहाल झामुमो के किसी इभी नेता ने इस आंदोलन पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
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