आजकल रुपया जिस रफ्तार से गिर रहा है, उसने आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ने ही वाला है. असर सीधा उन चीज़ों पर पड़ने वाला है, जिन्हें आप और हम रोज़मर्रा में इस्तेमाल करते हैं, जैसे मोबाइल फोन, टीवी, लैपटॉप, एसी, फ्रिज, मेकअप और यहां तक कि गाड़ियां भी. हाल ही में सरकार ने जीएसटी कम किया था, जिससे ग्राहकों को थोड़ी राहत मिली थी, लेकिन रुपये की यह गिरावट ने उस राहत पर पानी फेरने का काम किया है
रुपये की कमजोरी सबसे ज्यादा उन कंपनियों को दिक्कत दे रही है, जो अपने प्रोडक्ट्स के पुर्ज़े या पूरा प्रोडक्ट विदेश से मंगाती हैं. पिछले कुछ महीनों से कच्चे माल की लागत बढ़ रही थी, फिर भी कंपनियां दाम बढ़ाने से हिचक रही थीं, क्योंकि जीएसटी घटने के बाद सरकार का रुख सख्त था. लेकिन अब जब डॉलर मजबूत और रुपया कमजोर हो गया है, तो कंपनियां इस नुकसान को और ज़्यादा झेल नहीं पा रही हैं.
इकॉनमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल, लैपटॉप, टीवी और बड़े घरेलू उपकरण बनाने वाली कंपनियों ने साफ़ कर दिया है कि दिसंबर से जनवरी के बीच वे कीमतों में 3 से 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी करेंगी. इसका कारण मेमोरी चिप, कॉपर और दूसरे जरूरी हिस्सों के दाम काफी बढ़ जाना बताया जा रहा है. कई चीज़ों की लागत का 30 से 70 प्रतिशत तक हिस्सा विदेशों पर निर्भर है, इसलिए रुपये की कमजोरी सीधे लागत को बढ़ा देती है.
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