पलामू के सतबरवा प्रखंड अंतर्गत मलय डैम में फाटक बंद नहीं होने एवं चैन संख्या 18 के समीप पक्की नहर टूट जाने के कारण पिछले लगभग एक माह से डैम का पानी अवैध रूप से बहकर नदी में जा रहा है। इससे नहर के नीचे लगी किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है, जिससे सैकड़ों किसान भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार मलय डैम का पानी सतबरवा, सदर एवं लेस्लीगंज प्रखंड के सैकड़ों गांवों के किसानों के लिए सिंचाई का प्रमुख साधन है। इसी पानी के सहारे किसान गेहूं, सरसों, चना सहित अन्य रबी फसलों की खेती करते हैं। लेकिन नहर टूटने और डैम का फाटक बंद नहीं होने से पानी बह जाने के कारण इस वर्ष किसान सिंचाई नहीं कर पाए और तैयार फसलें भी नष्ट हो गईं।
ग्रामीणों व विद्यार्थियों की जान जोखिम में
नहर टूटने के कारण सतबरवा गांव नदी पार पुल पर करीब एक माह से पानी बह रहा है। इससे ग्रामीणों एवं स्कूल जाने वाले बच्चों को आवागमन में भारी परेशानी हो रही है। ठंड के इस मौसम में लोग तेज बहाव वाले ठंडे पानी को पार कर स्कूल एवं दैनिक कार्यों के लिए मजबूर हैं, जिससे किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि यह पानी दुलसुल्मा गांव स्थित मलय डैम से आ रहा है, जहां नहर बांध टूट गया है। बांध की मरम्मत एवं डैम का फाटक बंद करने को लेकर संबंधित विभाग एवं पदाधिकारियों से लगातार आग्रह किया जा रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
किसानों की मुआवजे की मांग
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि आसपास के लगभग सभी किसानों की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है और अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। किसानों ने झारखंड सरकार एवं मुख्यमंत्री से क्षतिपूर्ति (मुआवजा) देने तथा अविलंब नहर की मरम्मत कर डैम का फाटक बंद कराने की मांग की है, ताकि आगे और नुकसान से बचा जा सके।
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