खबर 365 न्यूज डेस्क। जैसे-जैसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रगति कर रही है, मनुष्य की उन पर निर्भरता भी बढ़ती जा रही है। साथ ही यह निर्भरता मनुष्य की शत्रु भी बनती जा रही है। एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि हमारे काम को आसान बनाने वाली तकनीक भविष्य में हमारे दिमाग की दुश्मन बन जाएगी। वैज्ञानिकों की एक टीम ने दिमाग के दुश्मन को भी खोज निकाला है और बताया है कि अगले 12 सालों में इंसान सोचने-समझने की शक्ति खो देगा। रिसर्च में उन्होंने इसकी वजह भी बताई है। आइए जानते हैं विस्तार से…
2035 तक बदल जाएगी तस्वीर:
अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च ने एक सर्वे किया था, जिसमें खुलासा हुआ है कि अगले 12 सालों में एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों की सोचने-समझने की क्षमता को खत्म कर देगा। यह तकनीक मनुष्य को इस हद तक प्रभावित करेगी कि वह कोई भी निर्णय लेने में स्वयं को असमर्थ महसूस करेगा। रिसर्च में दावा किया गया है कि आने वाले 12 सालों में यानी 2035 तक मशीनों, बॉट्स, सिस्टम्स का इस्तेमाल तेजी से बढ़ेगा।
आगे बढ़ने के लिए एआई की मदद लेनी होगी:
शोध के मुताबिक लोगों को खुद को आगे बढ़ाने के लिए डिजिटल टूल्स और एआई का इस्तेमाल करना होगा, जिससे उनकी व्यक्तिगत और निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो जाएगी। आने वाले समय में व्यापार, सरकार और सामाजिक व्यवस्था पूरी तरह से स्वचालित हो जाएगी, जिससे मनुष्य की सोच और समझ कमजोर हो जाएगी।
ज्यादातर लोग पहले से ही एआई पर कर रहे हैं भरोसा:
अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च के इस सर्वे में 540 विशेषज्ञों को शामिल किया गया था, रिसर्च की इस रिपोर्ट में एआई की अहमियत और इंसानों को इससे होने वाले फायदों के बारे में भी बताया गया है। हालांकि, रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि ज्यादातर कंपनियां या संगठन एआई के संबंध में मानवीय फैसलों पर ध्यान नहीं देंगे। कई विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि कई लोग अपने दैनिक निर्णय लेने के लिए पहले से ही एआई पर निर्भर हैं।
तकनीकी निर्णय नहीं ले पाएगा इंसान:
सर्टेन रिसर्च के संस्थापक बैरी चुडाकोव के मुताबिक, 2035 तक मशीनों, बॉट सिस्टम और इंसानों के बीच बहस की स्थिति पैदा हो सकती है। चुडाकोव ने दावा किया कि आने वाले समय में इंसान तकनीक आधारित कोई भी फैसला नहीं ले पाएगा, लोगों को पूरी तरह से एआई पर निर्भर रहना पड़ेगा।
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