जी. एम .महाविद्यालय इचाक में राष्ट्रीय बालिका दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में बेटियों के बारे में चर्चाएं की गई।आज भारत की बेटियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है । वे शिक्षा, खेल, राजनीतिक से लेकर कई अन्य क्षेत्रों में अपना और अपने देश का नाम रोशन कर रही है । सरकार बेटियों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रही है। इसी कड़ी में भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है । उक्त बातें वर्ग 12वीं की छात्रा पल्लवी कुमारी ने कही ।12वीं कक्षा के एक छात्र नीतीश कुमार ने कहा कि भारतीय समाज में महिलाओं के अधिकार, उनकी शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है । इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि देश की बेटियों के सामने आने वाली सभी असमनताओं को दूर करना, उनकी बेहतरी के लिए अवसर और समान अधिकार प्रदान करना और यह भी सुनिश्चित करना कि समाज में उनको भी सम्मान और मूल्य मिले।सेमेस्टर तृतीय की छात्रा अन्नुबाला कुमारी ने कहा कि आज भी कई जगह पर लड़कियों के सामने भेदभाव और हिंसा की समस्या आ रही है । आज भी उन्हें बाल विवाह, यौन शोषण जैसे हिंसाओं का सामना करना पड़ता है। यह दिन लोगों को लड़कियों के साथ समान व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित करता है।लड़कों की तरह लड़कियां भी देश का भविष्य है । उनको भी शिक्षा, रोजगार के समान अवसर प्राप्त करने का अधिकार है । उन्हें बाल विवाह , यौन शोषण जैसी समस्याओं से बचाया जाना चाहिए । वर्तमान में देश दुनिया में ऊंचे से ऊंचे ओहदे पर लड़कियां पहुंचकर इस भ्रम को तोड़ने में कामयाब हो रही है की लड़कियां सिर्फ चूल्हे – चौके तक सीमित होती है ।शुभकामना देते हुए इतिहास की शिक्षिका संगम कुमारी ने कहा कि- ” बेटी है स्वर्ग की सीढ़ी, वो पढ़ेगी तो बनेगी अगली पीढ़ी।”महाविद्यालय के अंग्रेजी शिक्षक दीपक प्रसाद ने नारा लगाते हुए बालिकाओं को जागरुक करते हुए कहा कि समाज को अपनी सोच बदलनी चाहिए,”अपने नजरिये, सोच को बदलो, सभी नज़ारे बदल जाएंगे। हर क्षेत्र में दो बेटियों को मौका आपको बुराई कम नजर आएंगे। ” मंच संचालन छात्रा अन्नुबाला ने किया ।महाविद्यालय प्रभारी पंकज कुमार ने कहा कि “दुनिया में सच्ची दौलत उसी ने पाई है, जिसके घर में लक्ष्मी के रूप में बेटी आई है। “कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षक रत्नेश राणा, प्रणत कुमार, संजीत यादव, रियाज अहमद, अजीत हंसदा, आशीष पांडेय, राजकुमार, विनोद मेहता, कृष्ण कुमार, राजकुमार सिंह, सुनीता टोप्पो का सहयोग रहा ।

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