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झारखंड में 32,165 निजी भवनों, मॉल, बैंक्वेट हॉल पर होगी कार्रवाई

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झारखंड में 32,165 निजी भवनों, मॉल, बैंक्वेट हॉल पर होगी कार्रवाई, 50 करोड़ रुपए तक ठोंका जा सकता है जुर्माना
Ranchi : पर्यावरण स्वीकृति नहीं लेने वाले निजी भवनों, मॉल और बैंक्वेट हॉल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. झारखंड में अब तक 32,165 निजी भवन (अपार्टमेंट), मॉल और बैंक्वेट हॉल ने अब तक पर्यावरण स्वीकृति नहीं ली है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) ने आदेश दिया है कि जितने भी निजी भवन, मॉल सहित बैंक्वेट हॉल के निर्माण में पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन किया गया है, उनसे पेनाल्टी ली जाए. इस मसले पर स्टेट इंवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (शिया) सूची तैयार कर रहा है.
क्या है नियम
नियम के अनुसार 20 हजार वर्गमीटर (सभी फ्लोर को मिलाकर) में निर्माण कार्य हुआ है. उसे पर्यावरण स्वीकृति लेना अनिवार्य है. निर्माण कार्य से पहले प्रोजेक्ट की रूप रेखा, नक्शा के साथ पूरा प्लान स्टेट इंवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट ऑथिरिटी (शिया) में आवेदन के साथ जमा करना अनिवार्य है. इसके बाद शिया की सब कमेटी शियाक इसका असेसमेंट करने के बाद ही पर्यावरण स्वीकृति देगी. वहीं जिन भवनों का निर्माण हो चुका है और पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिली है तो ऐसी स्थिति में शिया की सब कमेटी शियाक पर्यावरण के दुष्प्रभाव को कम करने के वैज्ञानिक उपाए भी बताएगी. इस उपायों को पूरा करना होगा.
एनजीटी ने पूछा , कितने निजी भवनों को मिली है पर्यावरण स्वीकृति
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राज्य के सभी जिलों के नगर निगम और संबंधित नक्शा पास करने वाले अथॉरिटी से पूछा है कि कितने निजी भवनों को अब तक पर्यावरण स्वीकृति मिली है. वहीं रांची नगर निगम और आरआरडीए ने पर्यावरण स्वीकृति नहीं लेने वाले भवनों की लिस्ट भी एनजीटी को सौंपा था, लेकिन इस पर अब तक किसी ने भी पर्यावरण स्वीकृति नहीं ली है. शिया के मुताबिक पर्यावरण स्वीकृति नहीं लेने वाले राज्यभर के भवनों पर 50 करोड़ से अधिक का पेनाल्टी लगाया जा सकता है. इसका भी असेसमेंट किया जा रहा है.
सरकारी भवनों को मिल चुकी है पर्यावरण स्वीकृति
राज्य में विधानसभा, हाइकोर्ट सहित सभी सरकारी भवनों को पर्यावरण स्वीकृति मिल चुकी है. वहीं स्मार्ट सिटी, अटल वेंडर मार्केट, नगर निगम ऑफिस, कलेक्टेरियट सहित जिलों के सभी सरकारी भवनों को पर्यावरण स्वीकृति मिल चुकी है. रांची के कांके रोड स्थित चांदनी चौक के इलाके में 12 भवनों सहित लालपुर में पांच भवनों को अब तक पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिली है. नियमतः शिया से प्रपोजल एप्रुव होने के बाद झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ही कंसर्ट टू ऑपरेट और कंसर्ट टू एस्टेबलिसमेंट का सर्टिफिकेट देना है.
क्यों बनी ऐसी स्थिति
भारत सरकार द्वारा पहले पर्यावरण स्वीकृति नहीं लेने वाले भवनों के रेगुलरलाइज का कोई नियम नहीं बना था. वर्ष 2021 में एनजीटी ने कहा कि जो भवन बिना पर्यावरण स्वीकृति के बन चुके हैं, उनके रेगुलरलाइज के लिए नियम होना चाहिए. पर्यावरण के नुकसान को कम करने के लिए रेमिडिएशन प्लान होना चाहिए. इस आलोक में पेनाल्टी का प्रावधान भी किया गया है.

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