झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को गुमला जिले के चैनपुर थाने में एक निर्दोष व्यक्ति की पुलिस हिरासत में पिटाई के मामले की सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस पर कड़ी नाराज़गी जताते हुए गुमला के पुलिस अधीक्षक को तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अदालत के आदेश के बाद गुमला एसपी हारिस बिन जमा ने चैनपुर थाने के प्रभारी कृष्ण कुमार को निलंबित कर दिया। वहीं तीन पुलिसकर्मियों दिनेश कुमार, नंदकिशोर महतो और निर्मल राय को लाइन हाज़िर कर दिया गया है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि “कानून के राज में इस तरह की घटनाएँ होना सही संकेत नहीं है।” अदालत के निर्देश पर गुमला एसपी स्वयं उपस्थित हुए और स्वीकार किया कि मामले में गंभीर गलती हुई। उन्होंने बताया कि पीड़ित के ससुर के खिलाफ वारंट जारी था, और पीड़ित ने उनसे फोन पर बात की थी। इसी कारण पूछताछ के लिए उसे थाने लाया गया था। इस पर अदालत ने सवाल उठाया कि “क्या किसी से फोन पर बात कर लेने भर से पुलिस को किसी व्यक्ति को थाने ले जाकर बेरहमी से पीटने का अधिकार मिल जाता है?”
गौरतलब है कि पीड़ित क्यूम चौधरी की पत्नी नबीजा बीबी ने आरोप लगाया है कि 1 दिसंबर को पुलिस ने उनके पति को बिना किसी एफआईआर के हिरासत में लिया और निर्ममता से पिटाई की।
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