पाकुड़ से जितेन्द्र यादव की रिपोर्ट
पाकुड़ जिले के महेशपुर प्रखंड में कनिया अभियंता रंजीत मंडल का मामला इन दिनों गरम है। वजह—8 साल से एक ही जगह जमे रहना, और विभागीय स्थानांतरण प्रक्रिया का पूरी तरह ठप पड़ जाना। ग्रामीणों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक, हर तरफ एक ही सवाल गूंज रहा है—
“आख़िर ये पोस्टिंग इतनी खास क्यों है, और ट्रांसफर में देरी किसके इशारे पर?”
🔥 8 साल की कुर्सी—किसकी शह पर?
महेशपुर में विकास योजनाओं से लेकर सड़कों के निर्माण तक, कई कार्य वर्षों से अधर में लटके हुए हैं, लेकिन कनिष्ठ अभियंता की पोस्टिंग वही की वही।
लोगों का कहना है—
“दिलचस्प ये है कि जहां दूसरे अफसर 2–3 साल में बदल दिए जाते हैं, वहीं रंजीत मंडल 8 साल से अडिग हैं।”
“क्या यहां कोई अदृश्य सुरक्षा कवच है?”
🔥 विभाग की चुप्पी और बढ़ते सवाल
स्थानांतरण नीति साफ कहती है कि लगातार एक ही जगह लम्बी पदस्थापना न केवल अनुशासन के खिलाफ है बल्कि कार्यप्रणाली को भी प्रभावित करती है।
इसके बावजूद विभागीय स्तर पर कोई पहल न होना कई तरह के संदेह खड़े कर रहा है।
🔥 क्या है पर्दे के पीछे का खेल?
स्थानीय सूत्र बताते हैं कि
महेशपुर में चल रहे निर्माण कार्यों की निगरानी पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
कई योजनाओं की गति बेहद धीमी है।
लेकिन कार्रवाई की बजाय सबकुछ “यथावत”—क्यों?
🔥 ग्रामीण बोले—एक्शन लो
🔥 प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब बड़ा सवाल यही है—
क्या विभाग इस बढ़ते दबाव के बीच कार्रवाई करेगा?
या फिर 8 साल से जमी ये कुर्सी आगे भी अडिग रहेगी?
इस पूरे मामले ने महेशपुर प्रशासन की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
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