राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष के निमित चाईबासा में पथ संचलन किया गया। पथ संचलन टाऊन क्लब से प्रारंभ हुआ। 1925 विजयादशमी के दिन ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी।संघ 100 वर्षों से संपूर्ण समाज को संगठित समृद्ध और व्यक्ति निर्माण का कार्य कर रहा है। कार्यक्रम में श्री सत्यप्रकाश जी विभाग प्रचारक जमशेदपुर का उद्बोधन हुआ ।
उन्होंने कहा विजयादशमी का पर्व असत्य पर सत्य की विजय का है, उन्होंने “वीर भोग्य वसुंधरा” का संदेश दिया।पंच परिवर्तन (स्व, सामाजिक समरसता, पर्यावरण, नागरिक बोध, कुटुंब प्रबोधन) पर विषय रखा और कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए संयुक्त परिवार का होना आज के परिवेश में भी जरूरी है। आज संयुक्त परिवार एकल परिवारों में परिवर्तित हो रहा है। इसके लिए उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि हम सपरिवार सामूहिक भोजन, भजन, उत्सवों का आयोजन व तीर्थाटन, मातृभाषा का उपयोग, स्वदेशी का आग्रह, पारिवारिक व सामाजिक परंपराओं के संवर्धन व संरक्षण के लिए काम करेंगे।
पर्यावरण संरक्षण, पौधारोपण ‘व प्लास्टिक थर्मोकोल मुक्त पर्यावरण के लिए समाज को साथ लेकर कार्य करें। जो जिस पद पर व दायित्व पर है उसका निर्वहन निष्ठा व ईमानदारी पूर्वक स्वयंसेवक करें। यही नागरिक कर्तव्य है । संघ के स्वयंसेवक समाज जागरण का कार्य प्रत्येक क्षेत्रों में कर रहे हैं। स्वयंसेवकों को और भी गति से कार्य करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में सह संघचालक मनोज भगेरिया जी सह प्रांत कार्यवाह मोहन कच्छप जी जयप्रकाश मूंदड़ा जी और सैकड़ों स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
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