हमारे माननीय क्या बोल रहे हैं और इनकी भाषा क्या है, पहले इसे जान लीजिए। यह इनका एक दूसरे के विरुद्ध लेटेस्ट बयान है। दोनों के बयान सोशल मीडिया पर वायरल है। लोग उसे इंटरेस्ट लेकर सुन रहे हैं। अब वे इन्हें कोस रहे हैं। इनसे सीख कर इन्हें भी गाली देने लगे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी-अंग्रेजों को भगाए हैं, इसको (भानू प्रताप शाही) भी खदेड़ेंगे। इसके बाप का औकात है। (बीच में किसी ने कहा भानू शाही झारखंडी हैं) ये विदेशी लोग हैं। झारखंड में हम लोग शरण दिए हुए हैं। शरण दिए हुए हैं तो तमीज से रहो। तमीज से बोलो। इरफान अंसारी को नहीं जानता। बहुत डेप्थ है। झारखंड हमारा है। तुम इरफान अंसारी को बोल दोगे। मीडिया में दारु पीकर बोलता है। रात दस बजे इरफान जी, इरफान जी करता है।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भानू प्रताप शाही-इरफान जी मीडिया में आकर हमरा बाप-दादा के उकटत रह। पहले हमरा से फरिया ल। बाप दादा पर बाद में जइह। तोहर कितना डेप्थ है, बहुत बढ़िया से जानिले। तोहर कितना डेप्थ बा केकरो से छूपल नइखे। हम झारखंड के ही या कहां के ही, कबो हमर घर आब। जहिया तू गुली डंडा खेलत रह, हम मंत्री बनल रही। तोहार परिवार जहिया आयल होई बिहार या झारखंड में, ओ से एक हजार साल पहले हमार परिवार यहां आयल रही। रेकर्ड बा। बार बार कहल जे भानू जी दारू पीके बोल लन। पर भानू दारू-वारू ना पीयल। हम उप चुनाव में मधुपुर गइल रही। चार पांच लोग मिलनन। कहे लगलन सांझ में फुरकान अंसारी और इरफान अंसारी दोनों बैठ के पीयलन। अल-बल मत बोल। मंत्री बाड़ तो यह मत समझ कि कोई तोरा से डेरा जाई। तोरा से हिसाब-कितान करे ले हमेशा तैयार ही। कहां आबे के बा और कब आबे के बा, बतइह, हम आ जाइब। अकेले तोरा लेल काफी ही।
राज्य के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भानू प्रताप शाही की भाषा आपने पढ़ ली होगी। यह पहला मौका नहीं है, जब दोनों ही कद्दावर नेता इस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। सोशल मीडिया में बने रहने के लिए अथवा अपनी भड़ास निकालने के लिए, ये लगातार इस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। कभी कोई किसी को गुंडा कह रहा है, तो कभी कोई पागलखाने भेजने की बात कर रहा है। अब केवल मां-बहन की गाली देना ही बाकी है। जनता ने आपको विधायक, मंत्री, नेता इसलिए नहीं चुना कि आप एक-दूसरे पर कीचड़ उछालें। लोकतंत्र में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन मर्यादा में रहकर। जब नेता ही मर्यादा को तिलांजलि दे दे तो वह आम जनता से क्या अपेक्षा कर सकता है। समाज पर इसका क्या असर होगा, इसे समझने की जरूरत है। किस तरह की राजनीतिक गतिविधि होगी, इसे महसूस करने का समय है। राज्य की जनता पहले ही बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। उसे नेताओं से उम्मीद है समाधान की, न कि तमाशे की। इसलिए अब वक्त आ गया है कि आप दोनों रुक जाएं, सोचें, और अपने शब्दों की गरिमा को पहचानें। बहस करें, आलोचना करें, पर राजनीतिक शालीनता के साथ। क्योंकि आपके द्वारा एक दूसरे के विरुद्ध की जा रही बयानबाजी पर बच्चे भी शर्मिंदा होने लगे हैं। थू-थू करने लगे हैं। माननीय अब भी मौका है जो आप अपनी मर्यादा को समझें। अपनी भाषा को समझें। नहीं तो आपके बच्चे भी आपसे घृणा करने लगेंगे।
दिलचस्प यह है कि इन दोनों ही नेताओं के बयानबाजी को दूसरे दलों को छोड़ अपने ही दलों के नेता-कार्यकर्ता इंटरेस्ट लेकर पढ़ और सुन रहे हैं। खूब मजा ले रहे हैं। अनौपचारिक बातचीत में यह भी कहते हैं कि तुम-ताम वाली भाषा का प्रयोग, दोनों काफी पहले से करते आ रहे हैं। अब तो केवल मां-बहन को गाली देना ही बाकी है। लेकिन कांग्रेस हो या भाजपा नेतृत्व, पूरे प्रकरण पर धृष्टराष्ट्र बना हुआ है। अपने को पार्टी विथ डिफरेंस की बात करनेवाले भाजपा के नेता चुप हैं। शायद उन्हें भानू प्रताप शाही की भाषा संसदीय लग रही है। यही हाल कांग्रेस की है। कांग्रेस के शीर्ष लीडरशिप को शायद इरफान अंसारी की भाषा ही समझ में नहीं आ रही है। संभव हो वह यह समझ रहे हों कि झारखंड जैसे पिछड़े राज्य में इरफान अंसारी की भाषा पार्टी का वोट बैंक बढ़ा रहा है।
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