सद्दाम खान की रिपोर्ट
लोहरदगा। पूरे लोहरदगा जिले में मां दुर्गा की भक्ति की अक्षय भक्ति की लहर चल रही है। कहीं दुर्गा सप्तशती (चण्डी पाठ) का पाठ हो रहा है, तो कहीं श्री रामचरित से मानस का कहीं गरबा का आयोजन हो रहा है, तो कहीं भक्ति जागरण और भजन कीर्तन हो रहे हैं। कहीं या हो रहा है, तो कहीं अपने अंदाज में लोग घर-घर में चंडी पाठ और दुर्गा की शक्ति और कृपा पाने के लिए भक्ति में लीन हैं। मंगलवार को शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की पूजा की गई। तीसरे दिन इसका महत्व है। देवी की कृपा से साधक को अलोकिक वस्तुओं के दर्शन होते है। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है। कई तरह की ध्वनियां सुनाई देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहे। इस देवी से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सोम्यता और विनम्रता का विकास होता है। माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। माता के तीन और दस हाथ है। इनके कर-कमल गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड्ग, खप्पर, चक्र और अस्त्र-शस्त्र हैं. अग्नि जैसे वर्ण वाली, ज्ञान से जगमगाने वाली दीप्तिमान देवी हैं चंद्रघंटा देवी पर है। केलिए उन्मुख है। जय मां दुर्गा पूजा समिति थाना परिसर के पंडाल में चल रहे चण्डी पाठ में बताया गया कि मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप व बाधाएं खत्म हो जाती हैं। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। मां चंद्रघंटा प्रेतबाधा से भी रक्षा करती है। इनकी आराधना से वीरता निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होकर मंत्र संपूर्ण कथा का भी विकास होता है। मा चंद्रघंटा की उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्ट से मुक्ति पाता है। दूसरी और पूजा पंडालों को अंतिम रूप देने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। पली बालोतरा और आसपास के लोगों को शहर से पूजा पंडालों में जब तक के सबसे भव्य और आकर्षक देखने को मिलेगा शहर के पतराटोली से लेकर सेन्हा तक और घरही से लेकर तक आ सके तोरणद्वार बनाए गए हैं।
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