
शांति समिति सदस्य सह राजद प्रदेश कार्य समिति के सदस्य संजर मलिक ने अंतु साव को अंगवस्त्र, मोमेंटो, बुके दे कर मंच में गर्म जोशी के साथ सम्मानित किया
छड़वा मेले अखाड़े का मुख्य आकर्षण अंतु साव का ताज़िया रहा, जो पिछले कई दशकों से हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बना हुआ है। इस ताज़िए की विशेषता यह है कि यह न केवल धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देता है बल्कि समाज में एकता, प्रेम, सद्भाव, और भाईचारे का संदेश भी फैलाता है।

इस वर्ष के मेले में समाज सेवी, शांति समिति सदस्य, और राजद प्रदेश कार्य समिति के सदस्य फहिमउद्दिन अहमद उर्फ संजर मलिक ने अंतु साव को अंगवस्त्र, मोमेंटो, और बुके देकर मंच पर सम्मानित किया। उन्होंने अंतु साव को गले लगाकर और पर्वरदिगार से दुआ करते हुए कहा कि छड़वा का यह गंगा-जमुनी तहज़ीब का गहवारा इसी तरह बना रहे। इस भावुक क्षण ने सभी उपस्थित लोगों को गहरे रूप से प्रभावित किया।
संजर मलिक ने कहा, “अंतु साव का ताज़िया सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की सांस्कृतिक धरोहर है। यह हमारी साझा विरासत का प्रतीक है जो हमें अपने विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के बावजूद एकजुट रखता है।”
मुख्य रूप से इस आयोजन में छड़वा मुहर्रम कमिटी के अध्यक्ष मुखतार अंसारी, सचिव नौसाद खान, महबूब अली, पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, अधिवक्ता जमील खान, मुन्ना सिंह, आर सी मेहता, भीम आर्मी चीफ, अंतु साव, विनोद कुशवाहा, साजिद अली खान, काशिफ अदीब, डीएसपी, थाना प्रभारी, सीओ, बीडियो, और पुलिस अधिकारी उपस्थित थे।
इस आयोजन को सभी ने बड़ी इमानदारी के साथ निभाया और मंच पर ही सभी को पगड़ी, बुके, और माला देकर सम्मानित किया गया। अखाड़ा कमिटी की ओर से सामाजिक शांति समिति के सदस्यों और राजनितिकों को भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि संजर मलिक ने कहा, “आज के दौर में जब समाज में विभाजन की बातें हो रही हैं, ऐसे आयोजन हमें याद दिलाते हैं कि हमारी ताकत हमारी एकता में है। हमें अपने सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखना होगा और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना होगा।”
अंतु साव ने अपने सम्मान के बाद कहा, “यह ताज़िया मेरे लिए सिर्फ एक धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमारी समाजिक और सांस्कृतिक एकता का जीवंत उदाहरण है। मैं इस सम्मान के लिए सभी का आभारी हूं और यह वादा करता हूं कि इस परंपरा को मैं आगे भी बनाए रखूंगा।”
छड़वा मेले का यह आयोजन समाज में एकता, प्रेम, और भाईचारे का संदेश फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर बना। इसने न केवल धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समन्वय को भी मजबूती दी। इस आयोजन की सफलता ने यह साबित किया कि जब हम मिलजुल कर रहते हैं, तब समाज में शांति और सद्भावना का माहौल बनता है।
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