राज्य सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा 26 जून 2025 को जारी आदेश, लगभग तीन माह बाद भी सभी विभागों तक नहीं पहुंचा है। यहां तक कि प्रोजेक्ट भवन में अवस्थित विभागों में भी यह आदेश नहीं पहुंचा, जिस बिल्डिंग में कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग का भी ऑफिस है। आदेश झारखंड सचिवालय सेवा के पदाधिकारियों (राजपत्रित और अराजपत्रित) से जुड़ा है। वार्षिक गोपनीय चारित्री संबंधी पूर्व के आदेश में किए गए संशोधन को कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने 26 जून 2025 को जारी किया गया है। इस आदेश का पत्रांक 3829 है। आदेश को विभागीय वेब साइट पर भी अपलोड नहीं किया गया है। लेकिन जैसे जैसे कार्मिक द्वारा जारी इस आदेश की प्रति अनौपचारिक रूप से विभागों में काम करनेवाले सचिवालय सेवा के अधिकारियों को मिल रही है, वे इस आदेश पर कई तरह के सवाल खड़ा कर रहे हैं।
कार्मिक द्वारा वार्षिक गोपनीय चारित्री से संबंधित पूर्व के आदेश में किए गए दो महत्वपूर्ण संशोधनों पर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। पहला, अगर किसी पद पर दो सेवा के अधिकारी कार्यरत हैं, तो दोनों सेवाओं के लिए भिन्न भिन्न मूल्यांकन की प्रणाली कैसे हो सकती है। मसलन सचिवालयों में अवर सचिव, उप सचिव, संयुक्त सचिव के पदों पर सचिवालय सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के भी अधिकारी कार्यरत हैं। लेकिन सचिवालय सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के मूल्यांकन प्रणाली अलग अलग निर्धारित किए गए हैं। इसी तरह कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा पत्रांक 6427, दिनांक 26 जुलाई 2016 को एक आदेश जारी किया गया था। उस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सहायक प्रशाखा पदाधिकारियों से टंकण की परीक्षा नहीं ली जाएगी। फिर एमएस ऑफिस की जानकारी को एसीआर का आधार बनाये जाने पर भी आपत्ति है। इसे सचिवालय सेवा के पदाधिकारियों की सेवा शर्तों में दुर्भावनापूर्ण परिवर्तन बताया जा रहा है।
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