साहेबगंज के बोरियो प्रखंड मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर तेलों पंचायत अंतर्गत पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाने वाला बोंगाकोचा झरने के ऊपर पहाड़ में बसा एक आदिम जनजाति का पहाड़िया गांव ग़म्हरिया पहाड़ है। जहां पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली की समस्याओं के कारण लगभग 300 की आबादी वाले गांव के लोगों को जीना दुश्वार हो गया है। ग्रामीण बताया कि गांव की यह भयंकर समस्या है। गांव से बाहर चुआं (कुआं जैसा गड्ढा) से पानी लाने के बाद ही प्यास बुझाने को मजबूर है।
भीषण गर्मी में ये चुआं भी सुख जाता है जिससे दो किलोमीटर दूर दूसरे गांव से पानी लाने के लिए जाना पड़ता है। जिससे पूरा दिन पानी लाने में ही निकल जाता हैं। बरसात के मौसम में चुआ का गंदा पानी पीने से यहां के लोगों को मलेरिया, टाइफायड जैसे बीमारी होते रहते हैं. अभी भी इस गांव के दर्जनों लोगों को मलेरिया टाइफायड जैसे बीमारी से पीड़ित है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा न ही मेडिकल कैंप लगाई जाती है और न ही कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है। जिस कारण यहां के लोग हमेशा बीमार पड़ते रहते है।
वहीं ग्रामीणों ने बताया कि रात को अचानक महिलाओं को प्रसव पीड़ा उत्पन्न होने या किसी के बीमार पड़ने पर जंगल के रास्ते जुगाड़ लगाकर मोबाइल का टॉर्च जलाकर खटिया के सहारे पहाड़ के पथरीले पगडंडी से गुजर कर पहाड़ से नीचे उतरकर स्वास्थ्य केन्द्र या निजी क्लीनिक के पास पहुंचते है। सड़क न होने के वजह से अधिकारियों के नजरों से दूर होने के कारण पीवीटीजी परिवारों को मिलने वाले स्वास्थ्य टीम भी गांव नहीं पहुंचते हैं। गांव में बीमार होने से झोलाछाप डॉक्टर से ईलाज कराने में मजबूर हैं।
गांव में कई परिवारों को पीएम जनमन आवास का लाभ तो मिला है पंरतु बिचोलिया और सिस्टम की लापरवाही के वजह से अधिकतर आवास अधूरे पड़े हैं। शिक्षा व्यवस्था भी है बदहाल है। ग़म्हरिया पहाड़ में कोई विद्यालय नहीं है। ग़म्हरिया पहाड़ के नीचे उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय छोटा ग़म्हरिया विद्यालय है जिसमें दोनों गांव के बच्चे पढ़ते है परंतु विद्यालय भी भगवान भरोसे संचलित होते हैं।
ग्रामीणों ने बताया विद्यालय में कई दिनों तक ताला लगा रहता है। ग़म्हरिया पहाड़ गांव में बिजली तो पहुंची है लेकिन बारिश और आंधी आने से महीनों तक बिजली बाधित रहती है। ट्रांसफार्मर पहाड़ के नीचे उलूगुटु गांव में लगा है। फॉल्ट होने पर महीनों तक बिजली गुल हो जाती है। करीब एक महीने से ट्रांसफार्मर खराब होने से गांव में फिर से डिबरी युग आ गया है। भोले भाले आदिम जनजाति पहाड़िया बहुल इस गांव के लोगों को मूलभूत सुविधाओं को लेकर प्रशासन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से शिकायते तो बहुत है। लेकिन इनकी समस्याओ का हल करने वाला कोई नहीं है। ग्रामीणों ने पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था की मांग की है।
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