पश्चिमी सिंहभूम के कोल्हान और सारंडा क्षेत्र में सक्रिय दस माओवादी आज हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौट आए। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि झारखंड पुलिस, कोबरा, CRPF, झारखंड जगुआर और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की लगातार कार्रवाई और झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति ने एक बार फिर असर दिखाया है।
आत्मसमर्पण करने वालों में रांदो बोइपाई उर्फ कांति, गार्टी कोड़ा, ए जॉन उर्फ जोहन पुरती, निरसो सीदू उर्फ आशा उर्फ निराशा, घोनोर देवगम, गोमेया कोड़ा उर्फ टारजन, कैरा कोड़ा, कैरी कायम उर्फ़ गुलांची, सावित्री गोप उर्फ़ मुतुरी उर्फ़ फुटबॉल और प्रदीप सिंह मुंडा शामिल हैं। इन सब पर हत्या, हत्या की कोशिश, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, आर्म्स एक्ट और यूएपीए जैसे गंभीर मामले दर्ज थे।
बता दें कि पिछले तीन सालों में पश्चिमी सिंहभूम जिले में 26 नक्सली संगठन से अलग होकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। इस दौरान पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने 9631 अभियान चलाया। इन अभियानों में 175 नक्सली गिरफ्तार हुए, 10 मारे गये और भारी मात्रा में हथियार व बारूद बरामद हुए।
जंगलों में नये कैंप स्थापित हुए, जिनसे नक्सलियों का दायरा सिकुड़ा और ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा की भावना गहरी हुई। पुलिस का कहना है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को राज्य सरकार की पुनर्वास योजना का पूरा लाभ मिलेगा। बाकी नक्सलियों से भी अपील है कि वे हथियार छोड़ें और सरकार की नीति का फायदा उठाकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। अधिकारियों का मानना है कि यह आत्मसमर्पण माओवादी संगठन पर बड़ा प्रहार है, जो इलाके में स्थायी शांति और विकास की राह खोल सकता है।
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