रिपोर्ट: आरीफ कुरैशी रामगढ़
जनसेवक अपने आत्म सम्मान की रक्षा हेतु कमर कस कर मैदान में है, पिछले 14 दिनों से लगातार हड़ताल पर है। चिलचिलाती धूप भी उनका जोश कम नही कर पा रहा है। विदित हो कि जनसेवक कृषि के साथ साथ सरकार के अन्यान्य विभागों के कार्य भी करते हैं, यहां तक कि कई पर्यवेक्षक का कार्य जनसेवकों के भरोसे चल रहा है। ऐसा कर्मी और पदाधिकारियों की कमी की स्थिति में भी सरकार का सम्मान बचाए रखने के लिए जनसेवकों के द्वारा सहज सहयोग के रूप में किया जाता रहा।ऐसा नहीं है कि जनसेवक को अतिरिक्त कार्य के लिए कोई अलग से मानदेय प्राप्त होता है, उल्टे सरकार की बहुत बड़ी राशि इस तरीके से बच जाती है।जनसेवक अपने 10 वर्ष की नियमित सेवा के उपरांत इस आस में था कि उन्हे इस एवज में उचित सम्मान मिलेगा, परंतु अपने ही कृषि विभाग के द्वारा छल पूर्वक ग्रेड पे कम कर जनसेवकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने का कार्य किया गया जिससे जनसेवक आक्रोशित है, और अपने सभी पुराने लंबित 11 सूत्री मांगों को लेकर पिछले 14 दिनों से लगातार हड़ताल पर है।हड़ताल पर बैठे जनसेवकों ने बताया कि लोकतंत्र में अपनी बातों को संवैधानिक तरीके से रखने और सरकार को अपनी मांगों की ओर ध्यान आकृष्ट कराने के लिए धरना एक अच्छा माध्यम है, परंतु धरना हेतु एक अच्छा छायादार और ताज़ी हवा युक्त स्थान का सर्वथा अभाव है। ऐसे में उचित स्थान देखकर एक बरगद या नीम जैसे पौधे लगाया जाए जिससे नियमित रूप से सिंचाई कर हड़ताली वृक्ष के रूप में विकसित की जाए जिसमे भविष्य में कर्मी/जनता हड़ताल के अवसर पर धरना हेतु निश्चिंत होकर बैठ सके। इस पौधारोपण हेतु कल का दिन भी तय कर लिया गया है।आज धरना में लोकेश कुमार, अजीत कुमार गुप्ता, उमेश कुमार, जितेंद्र प्रसाद, ज्ञानी प्रताप भारती, त्रिलोकी नाथ महतो, बिमल कुमार बेदिया, विकास कुमार, विकास प्रसाद, विनीता सिंह, संजीव करमाली, आलोक मित्रा, छत्रधारी महतो, पंकज कुमार, परमानंद कुमार, रविन्द्र कुमार महतो आदि शामिल रहें।
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