झारखंड में जमीन के म्यूटेशन की प्रक्रिया में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर सियासत गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तीखा हमला बोला है। मरांडी ने आरोप लगाया है कि झारखंड के अंचल कार्यालयों में म्यूटेशन के नाम पर खुलेआम लाखों की वसूली हो रही है, और चतरा का वाक़या तो महज़ एक उदाहरण है। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि आजकल पोस्टिंग के लिए लगाए जाने वाली बोली में उपायुक्त से ज़्यादा रेट अंचलाधिकारी (CO) का हो गया है! इसी कारण, म्यूटेशन के लिए प्रति डिसमिल रेट से घूस लेने वाले सरकारी बाबू अब ज़मीन में हिस्सा लेने लगे हैं।
मुख्यमंत्री पर लगाए आरोप
बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिछले बयानों का ज़िक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं सार्वजनिक मंच से यह स्वीकार कर चुके हैं कि प्रखंड और अंचल कार्यालय भ्रष्टाचार और दलालों के अड्डे बन चुके हैं, लेकिन उन्होंने कभी इस पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की। मरांडी ने संदेह जताते हुए पूछा कि क्या मुख्यमंत्री राज्य भर के अंचल कार्यालयों से उनके आवास तक पहुंचने वाले मोटी कमीशन एवं पोस्टिंग में मोटी रकम वसूली की वजह से चुप रहते हैं?
गरीब आदिवासियों की जमीन हड़पने का मुद्दा
पूर्व मुख्यमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वास्तविकता यही है कि झारखंड में जमीन की प्रकृति बदलकर बड़े पैमाने पर हेरफेर हो रहा है। उन्होंने कहा कि गरीब आदिवासियों की जमीन हड़पी जा रही है और भू-माफिया सक्रिय हैं। उन्होंने याद दिलाया कि राज्य में जमीन घोटाले में उपायुक्त से लेकर मुख्यमंत्री तक जेल जा चुके हैं। इस स्थिति में, उन्होंने सवाल किया कि गरीब आम जनता अपनी शिकायत लेकर आख़िर जाए तो जाए कहां?
कार्रवाई की मांग और चेतावनी
बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कड़े शब्दों में मांग की है:
“खुलेआम भ्रष्टाचार का तांडव कर रहे अंचलाधिकारियो पर कारवाई” करें।
म्यूटेशन के लंबित लाखों मामलों का शीघ्र निष्पादन सुनिश्चित कराएं।
यह ज़रूर सुनिश्चित करें कि म्यूटेशन के लिए घूस या ज़मीन में हिस्सेदारी न दे सकने वालों को अनावश्यक विलंब और दौड़ा-दौड़ा कर परेशान नहीं किया जाय।
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