*भुरकुंडा श्री अग्रसेन स्कूल में मनाई गई वर्ल्ड इमोजी डे, एक्सटेम्पोर में झलकी बच्चों की कल्पनाशीलता ।*
रामगढ़ जिले के भुरकुंडा श्री अग्रसेन स्कूल में आज वर्ल्ड इमोजी डे मनाया गया एक्सटेम्पोर में झलकी बच्चों की कल्पनाशीलता। बच्चों द्वारा घर से विभिन्न प्रकार की इमोजी बनाकर लाया। इस सभा में बच्चों को इमोजी का इतिहास बताया गया. शिक्षक एचके सिंह ने बताया कि इमोजी जपानी भाषा के शब्द इ (पिक्चर) और मोजी (पात्र) से मिलकर बना है। साल 1990 में जापान में शिगेताका कुरीता ने पहली इमोजी बनाई थी।
शिगेताका की बनाई इमोजी को वहां की टेलीकॉम कंपनी डोकोमो ने अपने टेक्स्ट मैसेज में शामिल किया था. जापानी डिक्शनरी में इसे 1977 में शामिल कर लिया गया था। यहीं से इमोजी के प्रति दुनिया का आकर्षण बढ़ता गया। वर्तमान में विभिन्न सोशल मीडिया और मैसेंजिंग सिस्टम में तीन हजार से ज्यादा इमोजी का इस्तेमाल हो रहा है।निदेशक प्रवीण राजगढ़िया ने कहा कि किसी भी टेक्स्ट के मुकाबले पिक्चर हमें आसानी से याद रहता है।इमोजी भी पिक्चर है। इसमें भावना है।जिससे हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं। इससे हमें अपने दिल की बात कहने में आसानी होती है। सबसे बड़ी बात है कि यह ग्लोबल लैंग्वेज सरहदों से परे है। पूरी दुनिया इस भाषा को समझती है। जब शब्द कम पड़ जाते हैं तो इमोजी आपकी मदद करते हैं। सिर्फ एक इमोजी पूरी बात कह देती है।
प्राचार्य विवेक प्रधान ने कहा कि इमोजी हमारे दिमाग में नए पैटर्न को भी विकसित करता है। इमोजी वाले स्माइली फेस देखने पर हमारे ब्रेन का वही हिस्सा सक्रिय होता है, जो असली चेहरा देखने पर होता है। अब अलग-अलग स्किन कलर वाले इमोजी भी ट्रेंड में हैं, *एक्सटेम्पोर में झलकी बच्चों की कल्पनाशीलता।*इमोजी डे पर एक्सटेम्पोर क्विज का भी आयोजन हुआ। बिना किसी पूर्व तैयारी के बच्चों को कई प्रकार के टॉपिक दिए गए। बच्चों ने टॉपिक पर अपनी बात रखते हुए अपनी कल्पनाशीलता का प्रदर्शन किया। एक्सटेम्पोर के संयोजक मुख्तार सिंह ने कहा कि एक्सटेम्पोर जैसा आयोजन बच्चों के अंदर आत्मविश्वास भरता है। हर बच्चा खास होता है। हमारी कोशिश है इस तरह का अवसर देकर बच्चों को और मुखर बनाया जा सके। इस अवसर पर सभी बच्चों को स्माईली बैच देकर पुरस्कृत किया गया।