पाकुड़ से जितेन्द्र यादव की रिपोर्ट
खजूर की चटाई पर गुजर रही रातें, कंबल वितरण का इंतज़ार
पाकुड़ — पाकुड़ जिले में पड़ रही हाड़ कंपकपाने वाली ठंड से जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया है। ठंड अब केवल मौसम नहीं रही, बल्कि गरीब, मजदूर और असहाय परिवारों के लिए रोज़मर्रा की बड़ी चुनौती बन गई है। शीतलहरी का असर जिले के प्रखंड क्षेत्रों, ग्रामीण इलाकों और विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में साफ देखा जा रहा है।
खुले आसमान के नीचे गुजर रही रातें
गरीब और मजदूर परिवार ठंड से बचाव के पर्याप्त साधनों के अभाव में खजूर के पत्तों की चटाई, निवाड़ी और पुराने कपड़ों के सहारे रात गुजारने को मजबूर हैं। कई जगहों पर न तो अलाव की व्यवस्था है और न ही कंबल उपलब्ध कराए गए हैं। बच्चों की ठंड से हालत खराब हो रही है, वहीं बुजुर्गों और असहाय लोगों की सेहत को लेकर परिजन चिंतित हैं। लोगों में यह डर बना हुआ है कि कहीं भीषण ठंड किसी बड़ी अनहोनी का कारण न बन जाए।
कंबल वितरण नहीं होने से बढ़ी नाराजगी
ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में अब तक कंबल वितरण शुरू न होने से लोगों में गहरी मायूसी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल ठंड के मौसम में राहत की बातें होती हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर मदद देर से पहुंचती है। इससे गरीब तबके को सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है।
‘पूस की रात’ जैसी स्थिति
जिले के मौजूदा हालात प्रसिद्ध लेखक प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की रात’ की याद दिलाते हैं, जिसमें ठंड के बीच गरीबों की पीड़ा और संघर्ष को दर्शाया गया है। आज वही स्थिति पाकुड़ के कई गांवों और टोलों में देखने को मिल रही है।
प्रशासन से जल्द राहत की मांग
लोगों ने जिला प्रशासन से जल्द से जल्द कंबल वितरण की मांग की है, ताकि गरीब और असहाय परिवारों को इस भीषण ठंड से राहत मिल सके। आमजन का कहना है कि समय रहते ठोस कदम उठाए गए तो कई जिंदगियों को सुरक्षित किया जा सकता है।
फिलहाल पाकुड़ की सर्द रातें प्रशासन से यही सवाल कर रही हैं—
क्या इस बार ठंड में गरीबों को समय पर राहत मिल पाएगी, या फिर इंतज़ार यूं ही जारी रहेगा?
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