
आयुष्मान योजना के बकाए का भुगतान नहीं हुआ तो खड़े कर सकते हैं प्राइवेट अस्पताल अपना हाथ
डायलिसिस समेत गंभीर मरीजों की बढ़ सकती हैं मुश्किले
जुलाई से नहीं हुआ है भुगतान हजारीबाग चैप्टर के दोनों जिले में 50 करोड़ से अधिक है बकाया, आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं संचालक फिर भी हम कार्डधारियों को दे रहे हैं सेवा: अध्यक्ष

हजारीबाग:
आयुष्मान भारत योजना से लाभान्वित हो रहे हजारीबाग और रामगढ़ जिले के 10 लाख कार्डधारी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्राइवेट और मनचाहे अस्पतालों में बेहतर इलाज की सुविधा प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न हो सकता है। ऐसी स्थिति इसलिए उत्पन्न हो सकती है की आयुष्मान योजना से संबंध प्राइवेट अस्पतालों का भुगतान जुलाई से लंबित है। 10 महीने से करोड़ों की राशि का बकाया होना प्राइवेट अस्पतालों में आर्थिक संकट उत्पन्न कर दिया है। लोग अस्पताल संचालन के लिए कर्ज ले रहे हैं बैंक लोन पर कई अस्पताल संचालित हो रहे हैं। इसको लेकर एसोसिएशन आफ हेल्थ केयर प्रोवाइर्ड्स इंडिया के झारखंड चैप्टर के ज्वाइंट सेक्रेटरी हर्ष अजमेरा की अध्यक्षता में हजारीबाग चैप्टर के रामगढ़ और हजारीबाग के प्राइवेट अस्पताल के संचालकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया है। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस हजारीबाग आरोग्यम नर्सिंग कॉलेज के सभागार में आयोजित हुआ।
जहां झारखंड चैप्टर के जॉइंट सेक्रेटरी हर्ष अजमेरा ने पूरा ब्योरा प्रस्तुत करते हुए कहा कि दोनों जिले में 1025000 आयुष्मान कार्ड धारक हैं। जिसमें 7 लाख हजारीबाग जिले में और 325000 कार्डधारी रामगढ़ जिले में है। वही हजारीबाग जिले में 20 और रामगढ़ जिले में 6 प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान योजना से पंजीकृत हैं। जो कार्ड धारकों का इलाज करते आ रहे हैं। आज स्थिति यह है कि जुलाई 2024 से आयुष्मान संबंध प्राइवेट अस्पतालों का आयुष्मान योजना का भुगतान नहीं हो पाया है। इस बकाया राशि का आंकड़ा 50 करोड़ से अधिक है। जिसमें लगभग 40 करोड़ हजारीबाग का और 10 करोड़ से अधिक रामगढ़ जिले का है। उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत योजना 2018 में लॉन्च हुआ। भारत देश के झारखंड राज्य से ही इसका लॉन्चिंग हुआ यह इस राज्य का सौभाग्य था। लेकिन अफसोस है कि इसी राज्य में प्राइवेट अस्पतालों का भुगतान नहीं हो पा रहा है और आज निजी अस्पताल संचालक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। जबकि 70 फ़ीसदी आयुष्मान योजना के मरीजों का इलाज हम प्राइवेट अस्पताल करते आ रहे हैं 30 फ़ीसदी ही मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में होने का आंकड़ा है। कहां की हम प्राइवेट अस्पताल संचालक सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते आ रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोग को इस योजना का लाभ मिले और बेहतर इलाज मुहैया हो सके आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज निरंतर हमारे द्वारा जारी है, लेकिन आज हम प्राइवेट अस्पताल संचालकों को ही बीच मझधार में छोड़ दिया गया है। चिकित्सक व कर्मियों का तीन-तीन माह से वेतन लंबित है ।जिसका भुगतान हम लोग नहीं कर पा रहे हैं। इसके अतिरिक्त दवाई मेडिकल व्यवस्था इत्यादि में आए खर्च का भुगतान भी लंबित पड़ा हुआ है।
कहां की यह कहकर पैसे का भुगतान नहीं किया जा रहा है कि अभी ईडी की जांच चल रही है तो इडी अपना काम कर रहा है लेकिन जिन पर आरोप नहीं है और जो आरोप मुक्त हैं उनका भुगतान क्यों लंबित है। इडी की जांच हिमाचल में भी चल रहा है लेकिन हिमाचल में क्यों भुगतान हो रहा है और झारखंड में इसे क्यों रोक कर रखा गया है। कहां की 12 अस्पताल जांच की लिस्ट में थे ।जिसमें जिला स्तर से उपायुक्त द्वारा कमिटी बनाकर जांच हुई थी और सभी आरोप मुक्त हैं। उन्होंने बताया कि पूरे झारखंड में 540 प्राइवेट और सरकारी अस्पताल आयुष्मान से पंजीकृत हैं। कहां की अकेले आरोग्यम हॉस्पिटल ने 25 240 मरीजों का इलाज किया है जिसमें 3500 मरीज के इलाज की राशि बकाया है।
बताया कि कई मरीज है जो इस योजना का लाभ लेते हुए डायलिसिस पर हैं। कई मरीज हैं जिन्हें महीने में चार से पांच बार डायलिसिस कराना होता है। अगर इस योजना का लाभ उन्हें नहीं मिले तो 40 से 50000 का खर्च प्रतिमाह आएगा। ऐसे में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस दौरान न्यू लाइफ लाइन के संचालक डॉ अमर कुमार , आरोग्यम हॉस्पिटल के एडमिनिस्ट्रेटर जया सिंह, डॉक्टर मेराज ,डॉ बीएन प्रसाद, डॉ सत्यवीर सिंह समेत सभी संचालकों और चिकित्सकों ने अपनी बातें रखी।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जीवन श्री अस्पताल रामगढ़, प्राइम हॉस्पिटल रामगढ़ ,होप हॉस्पिटल रामगढ़, एचजेडबी आरोग्यम हॉस्पिटल हजारीबाग, डॉक्टर मेराज आई एंड डेंटल हॉस्पिटल हजारीबाग, श्रीनिवास हॉस्पिटल हजारीबाग, शांति सेवा सदन बड़कागांव, वंदना नर्सिंग होम हजारीबाग, आयुष्मान हॉस्पिटल हजारीबाग, क्षितिज हॉस्पिटल, न्यू लाइफ लाइन हॉस्पिटल, हमीदा नर्सिंग होम, राज हॉस्पिटल, महावीर हॉस्पिटल, श्री हरिकिशन हॉस्पिटल समेत सभी आयुष्मान योजना से संबंध रखने वाले अस्पतालों के संचालक और चिकित्सक मौजूद थे।
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