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आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी आदिवासी बाहुल्य गांव पूरपनिया में नहीं मिला चिकित्सा सुविधा

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हजारीबाग। आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी डाडीघाघर पंचायत अंतर्गत पूरपनिया, आदिवासी बाहुल्य गांव के लोगों को झारखंड सरकार नहीं मुहैया करा पाई स्वास्थ्य सुविधा जिसके कारण 5 किलोमीटर पैदल चलकर ग्राम फूफन्दी पहुंची तब जाकर ममता वाहन से इचाक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सुविधा मुहैया कराया जाता है। इचाक प्रखंड के पूरपनिया गांव में एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जो शर्मसार कर देने वाला अमानवीय घटना है बता दें कि पुरपनिया निवासी गर्भवती चिंता मुनि देवी पति सुरेंद्र किस्कू ने सड़क के आभाव मे चार किलोमीटर पहाड़ी पगदंडी रास्ता को कराहते हुए अस्पताल पहुंची। बता दें कि सड़क सुविधा के आभाव मे दो दिनों से कराहती रही थी गर्भवती चिंता मुनि देवी। इस मामला को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि झारखंड सरकार कितनी असंवेदनशील हो गई है। जहां एक ओर विकास के दावे किए जा रहे हैं वहीं ऐसी तस्वीरें निकल कर सामने आ रही है जो मानवता को शर्मशार कर देने वाली है। शिक्षा स्वास्थ्य सड़क बिजली पानी के अभाव में जीवन गुजर बसर कर रहे शुक्रवार टी गांव के लोगों को विकास के कौन से मायने बताए जा रहे हैं। यूं तो झारखंड सरकार के द्वारा गांव के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के विकास के दावे लगातार किए जा रहे हैं सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने की लगातार प्रचार प्रसार किए जा रहे हैं मगर डाडीघागर पंचायत के इन गांव में आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित लोग सरकार के इन खोखले वादों को कैसे मान लें। इन सुदुरवर्ती क्षेत्रों में जीवन को पटरी पर लाने के लिए सरकार को इस ओर प्रयास करने की आवश्यकता है। क्योंकि सुदूरवर्ती क्षेत्र के अंतिम पायदान तक सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और मूलभूत सुविधाओं का होना आवश्यक है तब जाकर विकास के मायने नजर आएंगे वरना विकास के मायने खोखले और बेमानी साबित होंगे। समाजसेवी रमेश कुमार हेम्ब्रोम ने झारखंड सरकार एवं जिला प्रशासन से डाडीघाघर पंचायत कि भगौली दृष्टिकोण एवं सुविधा अनुसार फफूंदी गांव में स्वास्थ्य केंद्र निर्माण की मांग की उन्होंने जनता की मूलभूत सुविधाओं को यथासंभव पंचायत वासियों को मुहैया कराने की मांग भी किया। कहा कि स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण हो जाने से गांव में ही चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा सकेंगे और गर्भवती महिलाओं को इस प्रकार से जान जोखिम में डालकर जिंदगी और मौत का सफर करने से बच जाएंगे और इस प्रकार की शर्मनाक घटना का दोबारा शिकार होने से लोगों को राहत मिलेगा।इस तरह कि घटना से श्री हेम्ब्रोम ने यह भी कहा कि आज भगवान बिरसा मुण्डा कि सहादत दिवस है जो इन महापुरुषों का सपना एवं शहादत भी बेकार साबित होते दिख रहा है।

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