छतरपुर थाना क्षेत्र के डाली गांव के रहने वाले दिनेश भुइयां उम्र 35 का शव कर्नाटक के बेंगलुरु में एक झाड़ीनुमा पेड़ से झूलता हुआ बरामद हुआ है। दिनेश की मां फुलेश्वरी कुंवर और पत्नी अनीता देवी ने इसे हत्या बताकर, उसे फांसी का रूप देने का आरोप लगाया है।दिनेश की मौत की खबर तब आई जब उसकी मां और पत्नी छठ पर्व के लिए संध्या अर्घ्य देने की तैयारी कर रही थीं। एकलौते बेटे की असामयिक मौत से दोनों बेसुध हो गईं और उनका सारा संसार उजड़ गया।
मां फुलेश्वरी कुंवर ने बताया कि उनका बेटा दिनेश दो महीने पहले गांव के जितेंद्र भुइयां उर्फ जीतू के साथ बेंगलुरु काम करने गया था। चार दिन पहले दिनेश ने रोते हुए फोन किया और बताया कि कंपनी से मिला 1,20,000 का हिसाब का पैसा या तो चोरी हो गया है या खो गया है। जीतू उस पर पैसा चुपके से घर भेजने का आरोप लगा रहा था।दिनेश ने अपनी मां से पैसों की व्यवस्था करके भेजने को कहा, अन्यथा जीतू उसे जान से मारने की धमकी दे रहा था। इसके बाद, जीतू ने भी फोन पर धमकी दी कि अगर जल्दी पैसा नहीं भेजा गया तो वह दिनेश को चाकू मारकर हत्या कर देगा।फुलेश्वरी कुंवर के अनुसार, बेंगलुरु से जीतू लगातार धमकी देकर पैसों की मांग कर रहा था, जबकि गांव में उसका भाई नागेंद्र उन पर दबाव बना रहा था। सास-बहू ने महिला समूह से लोन लेकर ₹80,000 फोन पे के माध्यम से जीतू को भेज दिए और बाकी पैसा जल्द देने का आश्वासन दिया।
परिवार का आरोप है कि 24 अक्टूबर को ही जीतू ने दिनेश की हत्या कर दी और शव को झाड़ीनुमा पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या का रूप दे दिया। इसके बावजूद, जीतू लगातार उन पर पैसे देने का दबाव बनाता रहा और इन चार दिनों में पैसा लिया भी, लेकिन एक बार भी मौत की खबर नहीं दी।जब बेंगलुरु पुलिस को दिनेश का शव मिला, तब जीतू ने लाचार होकर अपने भाई नागेंद्र के जरिए परिवार को मौत की सूचना दी।फुलेश्वरी कुंवर ने बताया कि जीतू ने उन्हें मुकदमा दर्ज न कराने की धमकी दी और कहा कि अगर ऐसा किया तो उन्हें शव कभी नहीं मिलेगा। जीतू की धमकी से डरकर और मजबूर होकर, फुलेश्वरी और अनीता ने छतरपुर थाना में लिखित आवेदन दिया कि दिनेश ने बेंगलुरु में आत्महत्या कर ली है। इसी आवेदन के आधार पर छतरपुर पुलिस ने बेंगलुरु पुलिस को सूचना भेजी। इसके बाद, बेंगलुरु पुलिस ने पोस्टमॉर्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया।
दिनेश घर का एकलौता बेटा था। कुछ साल पहले पिता की मौत हो चुकी थी, जिसके बाद वह मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। उसकी तीन छोटी बेटियां हैं।पति की मौत से अनीता बार-बार बेसुध हो रही हैं। अब उन्हें और बच्चों को कौन संभालेगा, यह चिंता सता रही है। साथ ही, महिला समूह से लिया गया लोन भी सास-बहू कैसे चुकाएंगी, इस सोच से दोनों शिथिल होकर रोती जा रही हैं।
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