केंद्र सरकार के पास कोई बकाया राशि नहीं है।
अब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि चूंकि कोयले से मिलने वाला 1.40 लाख करोड़ रुपये का राजस्व केंद्र सरकार के पास लंबित है, इसलिए झारखंड सरकार का इस कर में कोई हिस्सा नहीं है। इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर झारखंड के भाजपा सांसदों से अपील की और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे हमारी जायज मांगों को पूरा करने के लिए आवाज उठाएंगे। झारखंड के विकास के लिए यह राशि मिलना बहुत जरूरी है।
कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी को पत्र लिखा
आपको बता दें कि मार्च 2022 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देश के कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी को पत्र लिखकर दावा किया था कि झारखंड पर कोयला कंपनियों का 1.36 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। मुख्यमंत्री हेमंत के अनुसार धुले कोयले की रॉयल्टी मद में रु. एमडीडीआर अधिनियम की धारा 21(5) के तहत 2,900 करोड़ रु. 32,000 करोड़ रुपये और भूमि मुआवजा शीर्ष के तहत रु. 1,01,142 करोड़ यानि कुल रु. 1,36,042 करोड़ रुपए बकाया हैं। चार पृष्ठों के पत्र में खनिज रियायत नियम 1960, एमडीडीआर अधिनियम और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का भी हवाला दिया गया है। अपने पत्र में सीएम सोरेन ने अनुरोध किया है कि राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए केंद्रीय कोयला मंत्री पहल करें और सभी कोयला कंपनियों को बकाया राशि लौटाने का निर्देश जारी करें।
कोयला बकाया वसूलने के प्रयास
इसके बाद से ही यह मुद्दा लगातार राज्य में उठता रहा है, चाहे वह लोकसभा चुनाव 2024 हो या विधानसभा चुनाव 2024, भारतीय गठबंधन के नेताओं द्वारा इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया गया। विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद सरकार गठन के साथ ही पहली कैबिनेट में ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि राज्य सरकार केंद्र से 1.36 लाख करोड़ रुपये का कोयला बकाया वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू करेगी।
Leave a comment