जॉइंट इंटेंस एग्जाम : अप्रैल 2024 का परीक्षा परिणाम आते ही जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली के छात्रों में खुशी की लहर दौड़ गई। विद्यालय के कक्षा 12वीं के छात्र प्रियांश प्रांजल ने 100 पर्सेंटाइल लाकर विद्यालय और झारखंड के स्टेट टॉपर बने। इनका ऑल इंडिया रैंक 30वाँ है। अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार 25 से अधिक छात्रों ने 99 पर्सेंटाइल और 125 से अधिक छात्रों ने 95 पर्सेंटाइल से अधिक अंक अर्जित कर विद्यालय का नाम रौशन किया है।
इनमें से कुछ नाम इस प्रकार हैं – सौरभ कुमार (99.98 पर्सेंटाइल), शौर्य कुमार (99.70 पर्सेंटाइल), नेहल अग्रवाल (99.53 पर्सेंटाइल), अर्णव दत्ता (99.52 पर्सेंटाइल), तानिष तन्मय (99.48 पर्सेंटाइल), ओमकार सिंह (99.44 पर्सेंटाइल), हर्षित कुमार (99.30 पर्सेंटाइल), अक्षय आंनद (99.29 पर्सेंटाइल), राज आर्यन (99.18 पर्सेंटाइल), अनिकेत सेन गुप्ता (98.20 पर्सेंटाइल), सुजॉय कुमार घोष (97.86 पर्सेंटाइल), अनीश कुमार (97.79 पर्सेंटाइल), क्षितिज आर्यन (97.77 पर्सेंटाइल), अदिति राज (97.76 पर्सेंटाइल), चंदन राज यादव (97.65 पर्सेंटाइल), अमर हंस (96.11 पर्सेंटाइल), नासिर यूसुफ़ (95.81 पर्सेंटाइल), आनंद वशिष्ठ (94.33 पर्सेंटाइल), आदि।
प्राचार्य श्री समरजीत जाना ने सफल छात्रों को खुशी के मौके पर मिठाई खिलाई और इस सफलता का श्रेय सभी टीचिंग फैकल्टी और छात्रों को देते हुए कहा कि सफलता शिक्षक और छात्रों की मेहनत और लगन का सही समिश्रण है। इस सफलता को पाने के लिए दोनों को कार्य करने होते हैं। इसकी शुरुआत होती है विद्यालय से। श्यामली हमेशा से छात्रों के लिए उर्वरा-भूमि रही है जिसकी पृष्ठभूमि में हमारी उम्दा टीचिंग फैकल्टी है जिसका वास्तविक स्वरूप जेईई मेन की सफलता के रूप में दिखाई दे रही है। बच्चे कहीं भी पढ़ें, विद्यालय में ही पढ़ें। यहीं बच्चे धक्के खाकर जीवन में अनुशासन, सॉफ्ट स्किल और हार-जीत का ककहरा सीख पाते हैं। हमारे विद्यालय में नॉन-अटेंडिंग छात्रों के लिए जगह नहीं है।
वहीं प्रियांश प्रांजल ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और विद्यालय के शिक्षकों को देते हुए अपने सभी सफल सहपाठियों को शुभकामानाएँ दी। उन्होंने कहा कि शुरू से ही मैंने JEE को अपना लक्ष्य बना लिया और प्रति दिन 10-12 घंटे पढ़ाई करता रहा। इसमें विद्यालय के शिक्षकों का सतत् और आपेक्षिक सहयोग रहा। परीक्षा के सभी प्रश्न-पत्र ऐसे थे जिसका कॉन्सेप्ट हमें विद्यालय में ही समझाया गया था। नियमित रूप से विद्यालय की कक्षा में उपस्थित रहने, मॉक टेस्ट देते रहने और निरंतर अभ्यास करने से मेरी राह आसान बन पड़ी है। जो असफल हो गए हैं उन्हें निराश होने की आवश्यकता नहीं है, वे फिर से प्रयास करें।
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