पूर्व उपमुखिया स्व. रामकेश्वर मेहता के सार्थक सोच पर सकारात्मक पहल

हजारीबाग: ईचाक प्रखंड अंतर्गत डाढ़ा गांव में एक विशेष बैठक कर मेहता समाज ने मृत्युभोज परंपरा को बंद करने का निर्णय लिया है। इसके लिए समाज के सभी लोगों ने मिलकर प्रस्ताव भी पारित किया गया है। मेहता समाज के सदस्यों ने अपील की कि किसी मृत्यु उपरांत बारहवां के दिन मृत्यु संस्कार भोज को करने की बजाए उसमें लगने वाले धन को बच्चों की परवरिश पर खर्च करें, ताकि उनका भविष्य बन सके।
मेहता समाज के लोगों ने कहा कि समाज मे मृत्यु संस्कार में जो भोजन कराया जाता है, उसमें रोक लगाने की जरूरत है. कई परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद वे लोग जैसे-तैसे पैसों का जुगाड़ कर मृत्युभोज करते हैं. मृत्युभोज धन राशि खर्च न करते हुए, उस राशि को अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करें. जिससे वे पढ़ लिखकर देश और समाज के लिए अच्छा काम कर सकेंगे. शिक्षित व्यक्ति सही मायने में संसार में सबसे अधिक धनी होता है.इससे सक्षम वर्ग को फर्क नहीं पड़ता, लेकिन सामान्य और कमजोर परिवार को लंबे समय तक आर्थिक कठिनाइयों से जूझना पड़ जाता है। इससे समाज कमजोर होता जा रहा है। साथ ही उन्होंने इसके लिए जन जागरूकता अभियान चलाए जाने की बात कही.
बैठक के दौरान ग्राम पंचायत डाढ़ा के मुखिया प्रतिनिधि दयानंद मेहता, वरिष्ठ समाजसेवी सीताराम मेहता, शिक्षक सतेन्द्र मेहता, तुलसी मेहता, तालेश्वर मेहता, विशेश्वर मेहता, अशोक मेहता ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार कहीं भी मृत्यु भोज का उल्लेख नहीं है। समय के अनुसार सभी को बदलाव करनी चाहिए। गांव के मेहता समाज ने इस प्रथा को बंद करने हेतु प्रस्ताव भी पारित किया गया है।
पूर्व उपमुखिया का सार्थक सोच पर विचार
दरअसल ग्राम पंचायत डाढ़ा के पूर्व उपमुखिया सह वरिष्ठ समाजसेवी रामकेश्वर प्रसाद मेहता का निधन बिते 19 नवंबर 2024 को हो गया था और रामकेश्वर प्रसाद मेहता हमेशा समाज के लिए हमेशा सार्थक कार्य के लिए समय दिया करते थे। उनका सोच था कि समाज में कई ऐसी कुरीतियां है जो प्राचीनकाल से चलती आ रही है। लेकिन वर्तमान दौर में कई बदलाव हो रहे हैं और इस बदलाव के साथ-साथ मानव जीवन को कुरीतियों में भी बदलाव लानी चाहिए। वे चाहते थे कि मेहता समाज सहित अन्य समाज में मृत्यु भोज की समाप्ति हो। उन्हीं के इस सकारात्मक सोच के साथ डाढ़ा गांव के मेहता समाज ने मृत्यु संस्कार भोज बंद करने का निर्णय लिया है।
वहीं मेहता समाज के बैठक में मुख्य रूप से सीताराम मेहता, तुलसी मेहता, निरंजन प्रसाद महतो, सुरेंद्र कुमार यादव, कृष्णा महतो, मुरली महतो, सत्येंद्र प्रसाद मेहता, कृष्ण प्रसाद महतो, नारायण प्रसाद मेहता, विशेश्वर प्रसाद, परमानंद मेहता, महादेव मेहता, बंगाली मेहता, हीरामन महतो, चुरामन महतो, प्रमोद मेहता, अशोक प्रसाद मेहता, सरजू प्रसाद मेहता, टूकन महतो, छोटन मेहता, शंकर मेहता, विवेक कुमार, दीपक कुमार, संतोष मेहता, रूदन महतो, जोधन महतो, वीरेंद्र मेहता, खेमलाल महतो, इंदर महतो सहित कई लोग शामिल थे।
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