जी.एम.संध्याकालीन महाविद्यालय इचाक हजारीबाग के एन.एस. एस. इकाई के द्वारा मविद्यालय के विद्यार्थियों ने अग्नि सुरक्षा यंत्र के नमूने और चित्रकारी के माध्यम से प्रदर्शनी मेला का आयोजन महाविद्यालय के प्रांगण में किया। जिसमे महाविद्यालय के प्राचार्य विनय कुमार ने इस प्रतियोगिता में शामिल सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा की उनके इस तरह का कार्य को पूरे समाज तक प्रसारित करने के लिए प्रेरित करता है। इस महाविद्यालय के सभी विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास को लेकर हमेशा से प्रतिबद्ध है। महाविद्यालय के सचिव शंभू कुमार ने प्रदर्शनी को देखकर विद्यार्थियों को कहा की मनुष्य के जीवन में कभी भी आगजनी जैसा आपदा आ सकती है।इसलिए हम सभी को अपनी सुरक्षा के साथ साथ अपने परिवार और समाज की भी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, अग्नि सुरक्षा के यंत्रो और सुविधाओं का जानकारी रखना अति आवश्यक है। इसलिए इस तरह का आयोजन से हमारे महाविद्यालय के बच्चों के द्वारा समय समय पर समाज में एक अच्छा संदेश पहुंचता रहेगा। कार्यक्रम के दौरान छात्र रितिक मिश्रा ने अग्नि सुरक्षा के संबंध में कहा कि शहरी क्षेत्रों में हर साल आग लगने की घटनाओं की बढ़ती संख्या के साथ, भारत में अग्नि सुरक्षा एक बड़ी चिंता का कारण बन गई है। लगातार हो रही लगने की घटनाएं, भारत की निर्माण श्रृंखला के लिए एक गंभीर खतरा बनती जा रही है।छात्रा अंजली कुमारी ने कहा कि हर साल आग लगने की कई घटनाएं होती हैं जिनमें कई लोगों की मौत हो जाती है और कई लोग घायल हो जाते हैं। इतना ही नहीं, आग लगने की इन घटनाओं से बड़ी मात्रा में संपत्ति जलकर नष्ट हो जाती है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है।प्रिति कुमारी ने अपना विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि आग लगने की घटनाओं में भारत तीसरे स्थान पर है। नेशनल बिल्डिंग कोड ,आग लगने के दौरान उसे बुझाने और जीवन सुरक्षा के उपायों के बारे में भी बताता है।इस कार्यक्रम में कोमल कुमारी, सुमन कुमारी, नेहा कुमारी मनिषा कुमारी सुषमा कुमारी अविनाश कुमार, निक्की कुमारी आदि ने भी अपने- अपने विचार प्रस्तुत किये। मंच संचालन अनिल कुमार ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में एन एस एस कार्यक्रम पदाधिकारी उमेश ठाकुर,शिक्षक रंजन कुमार,पंकज कुमार,रत्नेश कुमार,दयानंद कुमार यादव,दीपेंद्र कुमार,अजीत प्रसाद,विनय कुमार,अजय उरांव, अजीत हंसदा,दीपक प्रसाद, रितु कुमारी,उर्मिला राणा, सहिता कुमारी, पुष्पांजलि कुमारी, कस्तूरी,नीलिमा कुजूर ने सराहनीय योगदान रहा।

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