
हजारीबाग : जिला कांग्रेस कार्यालय कृष्ण बल्लभ आश्रम में करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो का नारा देने वाले सिद्धो-कान्हू का 168 वां शहादत हूल क्रांति दिवस के रूप में मनाया गया । इसके पश्चात पी.डब्लू.डी चौक स्थित जिला अध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार यादव के नेतृत्व में उनके आदम कद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अमर शहीद सिद्धो-कान्हू को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला अध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि सिद्धो-कान्हू के नेतृत्व में आजादी की पहली लड़ाई अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई थी । 26 जूलाई 1855 को इन शहीदों को फांसी दे दी गई थी उनकी याद में 30 जून को हर वर्ष हूल क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस विद्रोह की शुरुआत साहिबगंज जिले के भोगनाडीह गांव से हुई थी । हालांकि आजादी की पहली लड़ाई तो सन 1857 मानी जाती है लेकिन झारखंड के आदिवासियों ने सन 1855 में ही विद्रोह का झंडा बुलंद कर दिया गया था । सिद्धो-कान्हू के नेतृत्व में संताल आदिवासियों का विशाल हिंसक आंदोलन अंग्रेजों के विरोध में छेड़ा गया था । इसमे अंग्रेजों के द्वारा बड़ी चालाकी से इन दोनो भाइयों को गिरफ्तार कर सिद्धो को पंचकठिया नामक स्थान पर बरगद के पेड़ पर फांसी दी गई जबकि कान्हू को भोगनाडीह में फांसी दी गई ।
मौक पर प्रदेश महासचिव बिनोद कुशवाहा प्रदेश सचिव बिनोद सिंह उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता निसार खान महानगर अध्यक्ष मनोज नारायण भगत, राजू चौरसिया, कृष्णदेव प्रसाद सिंह, ललितेश्वर प्रसाद चौधरी, कृष्णा किशोर प्रसाद, प्रदीप कुमार मिश्रा, उपेन्द्र कुमार राय, मनिषा टोप्पो, बेबी देवी, मोसेमात प्रतिमा, दिलीप कुमार रवि, कजरू साव, तसलीम अंसारी, विजय कुमार सिंह, बाबर अंसारी, माशूक अंसारी, रंजीत यादव, नरसिंह प्रजापति, मो. मुस्ताक, उदय साव, मो. रब्बानी, नरेश गुप्ता, चन्द्र शेखर आजाद, उदय केशरी, मुकेश कुमार, बहादुर सागर, अशोक सिंह, अजित सिंह, गोविंद राम, धीरज कुमार यादव, भैया असीम कुमार, वशीम सर के अतिरिक्त कई कांग्रेसी उपस्थित थे ।
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