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उम्र के कारण सुबोध कांत सहाय टिकट से हुए वंचित
सबसे पहले खबर 365 ने दी थी खबर की रांची से सुबोध कांत सहाय ही होंगे प्रत्याशी।
रांची। लंबी प्रतीक्षा के बाद कांग्रेस ने रांची सीट से अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। उम्र के कारण सुबोध कांत सहाय है के स्थान पर चर्चा कांग्रेस ने उनकी इकलौती पुत्री यशस्विनी सहाय को रांची से प्रत्याशी बनाया है। मीडिया में सुबोध कांत सहाय के टिकट कटने और रामटहल चौधरी या बन्ना गुप्ता को टिकट मिलने की खबरें लगातार चल रही थी। इन खबरों के बीच गत 7 अप्रैल को खबर 365 ने बताया था कि कोई अन्य नहीं, रांची से सुबोध कांत सहाय ही होंगे कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। हालांकि पार्टी की पॉलिसी व उम्र के कारण सुबोध कांत सहाय को कांग्रेस ने टिकट नहीं देकर उनकी अनुशंसा पर उनकी पुत्री को रांची से प्रत्याशी बनाया है। झारखंड की राजधानी रांची में भाजपा को टक्कर देने के लिए पार्टी ने एक बार फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय पर भरोसा जताया है।
दूसरे के नाम पर चर्चा ही नहीं हुआ
मीडिया में लगातार पहले यह खबरें आती रही की कांग्रेस सुबोध कांत सहाय है के बजाय रामटहल चौधरी को टिकट देगी। बाद में मीडिया में बातें आई की मंत्री बना गुप्ता को रांची से कांग्रेस प्रत्याशी बनाएगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार पहले स्क्रीनिंग कमेटी और बाद में कांग्रेस चुनाव समिति में सिर्फ एक नाम सुबोध कांत पर सहमति बनी थी। किसी दूसरे नाम पर कोई चर्चा ही नहीं हुई। लेकिन उम्र की बाधा के कारण उनका टिकट होल्ड कर दिया गया था। इसके बाद आलाकमान ने सुबोध कांत सहाय से विमर्श कर उनकी पुत्री यशस्विनी सहाय को प्रत्याशी बनाया है।
कांग्रेस के परंपरागत वोट पर है अच्छी पकड़
सुबोध कांत सहाय के कुछ मजबूत पक्ष के कारण कांग्रेस पार्टी अन्य प्रत्याशियों पर चर्चा ही नहीं की। रांची संसदीय सीट पर कांग्रेस के परंपरागत वोट मुस्लिम और ईसाई समुदाय पर सुबोध कांत की मजबूत पकड़ है। जिस कारण सुबोध कांत के चुनाव लड़ने पर यह वोट एकजुट कांग्रेस को मिलता है।
इंडिया गठबंधन के नेताओं से है अच्छे संबंध
राज्य के इंडिया गठबंधन के नेताओं के साथ भी सुबोध कांत सहाय के अच्छे संबंध है। जिससे चुनाव के दौरान गठबंधन के नेताओं को कांग्रेस प्रत्याशी के साथ समन्वय बनाने में सुविधा होगी।
संसदीय क्षेत्र की हर बूथ की है उन्हें जानकारी
रांची संसदीय क्षेत्र से पांच बार चुनाव लड़ चुके सुबोध कांत सहाय को पूरे लोकसभा के एक-एक क्षेत्र की और करीब 2200 बूथों की पूरी जानकारी है। जिस कारण कम समय मिलने के बावजूद सुबोध कांत चुनावी मैनेजमेंट बहुत आसानी से कर लेते हैं।
ये कारण रहे सुबोधकांत के पक्ष में
टिकट की दावेदारी में सुबोध कांत अन्य नेताओं के मुकाबले काफी मजबूत और आगे नजर आए। इंडिया गठबंधन के नेताओं के साथ अच्छे ताल्लुकात, कांग्रेस के वोट बैंक में अच्छी पकड़ और हमेशा मजबूती के साथ रांची से चुनाव लड़ने की सुबोध कांत सहाय के प्रयास उनका मजबूत पक्ष रहा। और इसी कारण पार्टी ने एक बार फिर से रांची लोकसभा सीट के लिए सुबोध कांत सहाय पर ही भरोसा जताया है।
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