पाकुड़ से जितेन्द्र यादव की रिपोर्ट
माफिया हो रहे मालामाल, प्रशासन की चुप्पी पर ग्रामीणों के तेवर तेज
महेशपुर प्रखंड इन दिनों पत्थर माफियाओं के बढ़ते दबदबे की मार झेल रहा है। पर्यावरण मानकों और सरकारी नियम-कानून की खुलेआम अवहेलना करते हुए कई क्रेशर प्लांट रातभर बिना रोक-टोक संचालित किए जा रहे हैं। रात के सन्नाटे में मशीनों का शोर, धूल-धुआं और भारी वाहनों की आवाजाही ने ग्रामीणों का जीना दूभर कर दिया है।
ग्रामीण बोले— प्रशासन सो रहा, माफिया माला-माल हो रहा
“प्रशासन की नज़र के सामने यह सब चल रहा है, फिर भी कोई रोक नहीं। आखिर यह मिलीभगत नहीं तो क्या है?”
कानून क्या कहता है?
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों के तहत—
क्रेशर प्लांट को तय समय सीमा में ही चलाने की अनुमति होती है।
रात के समय आवासीय इलाके के पास मशीनें चलाना पूर्णतः प्रतिबंधित है।
धूल नियंत्रण, साउंड बैरियर, पानी का छिड़काव और सुरक्षा उपाय अनिवार्य हैं।
लेकिन महेशपुर प्रखंड के धावाडांगल, भीमपुर, कुसुमडांगा, जियापानी, कालूपाड़ा, आमलागाछी सहित कई इलाकों में किसी भी नियम का पालन होते नहीं दिखता।
बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएँ
लगातार उड़ती धूल और कंपन से बच्चों और बुजुर्गों में
सांस की समस्या
आंखों में जलन
सिरदर्द व नींद की कमी
जैसी दिक्कतें सामने आने लगी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रदूषण की वजह से खेतों और घरों में भी लगातार धूल की परत जम रही है।
प्रशासन से संपर्क— फोन नहीं उठता
इस संबंध में जब महेशपुर प्रशासन से उनकी प्रतिक्रिया जानने का प्रयास किया गया, तो कॉल रिसीव नहीं हो सका। इससे लोगों का आक्रोश और गहरा हो गया है क्योंकि वे लगातार प्रशासनिक उदासीनता का आरोप लगा रहे हैं।
ग्रामीणों की सीधी मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार से मांग की है कि—
रात में क्रेशर संचालन पर तत्काल रोक लगाई जाए
नियम तोड़ने वाले पत्थर माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई की जाए
प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य सर्वेक्षण व प्रदूषण जांच कराई जाए
ग्रामीणों का साफ कहना है—
“हम अपने परिवार की सुरक्षा चाहते हैं। प्रशासन अगर अब भी नहीं जागा, तो हम बड़े आंदोलन को बाध्य होंगे।”
जब इस विषय में दूरभाष के माध्यम से सीओ से जानकारी लेने चाहे तो सीओ कॉल रिसीव नहीं किए……
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