रांची : धनबाद झारखंड सरकार ने योजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन समारोहों को लेकर गाइडलाइन में बड़ा बदलाव किया है। नई व्यवस्था के तहत अब राज्य सरकार की योजनाओं के शिलापट्टों पर केंद्र सरकार के मंत्री, केंद्रीय राज्य मंत्री या स्थानीय सांसदों के नाम नहीं लिखे जाएंगे।
सरकार के नए निर्देश के अनुसार अब शिलापट्ट पर सिर्फ मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, स्थानीय मंत्री, संबंधित विधायक, जिला परिषद अध्यक्ष और नगर पंचायत प्रमुखों के नाम ही अंकित होंगे। साथ ही 20 सूत्री कार्यक्रम के प्रभारी मंत्री और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
यह नया आदेश राज्य की सभी योजनाओं — चाहे वे ग्रामीण विकास की हों या शहरी परियोजनाओं से जुड़ी — पर लागू होगा। झारखंड सरकार ने सभी जिलों के उपायुक्तों और विभागीय अधिकारियों को इस गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं।
राजनीतिक गलियारों में हलचल :
इस फैसले को लेकर सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है। भाजपा नेताओं ने इसे राज्य सरकार की “छोटी मानसिकता” बताया है।
भाजपा सांसद ढुल्लू महतो का कहना है कि शिलापट्ट से सांसदों का नाम हटाना राज्य सरकार की संकुचित सोच को दर्शाता है। यह केंद्र और राज्य के संबंधों को कमजोर करने वाला कदम है।”
वहीं, झारखंड सरकार के सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय प्रशासनिक व्यवस्था को सरल बनाने और राज्य की योजनाओं को स्पष्ट रूप से अलग पहचान देने के लिए लिया गया है।
राज्य सरकार की दलील :
राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य की योजनाओं का श्रेय राज्य सरकार को ही मिलना चाहिए। केंद्र की योजनाओं के शिलान्यास पर केंद्र के प्रतिनिधियों के नाम पहले की तरह शामिल रहेंगे, पर राज्य की योजनाओं में अब सिर्फ राज्य स्तर के नाम होंगे।
धनबाद के उपायुक्त आदित्य रंजन ने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशों का पूर्ण पालन किया जाएगा। सभी विभागों को नए दिशा-निर्देश भेजे जा चुके हैं। जो भी शिलापट्ट पहले से तैयार हैं, उनमें आवश्यक संशोधन किए जा रहे हैं ताकि नई गाइडलाइन के अनुरूप एकरूपता बनी रहे। सरकार की मंशा है कि योजनाओं की पारदर्शिता और प्रशासनिक स्पष्टता सुनिश्चित की जाए।
इस गाइडलाइन के लागू होते ही कई जिलों में पहले से तैयार शिलापट्टों को दोबारा संशोधित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पुरानी गाइडलाइन में क्या था :
पहले झारखंड में केंद्र सरकार की योजनाओं या संयुक्त रूप से चलने वाली परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन में केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसदों के नाम भी शामिल किए जाते थे। लेकिन अब राज्य सरकार ने इसे बदल दिया है।
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