नौवीं सूची में जाने पर भी कोर्ट में हो सकती है विधेयक की समीक्षा
रांची। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार जो भी नियोजन नीति बनाये, वह झारखंड की धरती पर ही बनाये। सरकार झारखंड के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करे। स्थानीय और नियोजन नीति तय करने का काम राज्य सरकार का होता है। राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों को दूसरों के कंधों पर फेंक नहीं सकती। इसलिए सरकार बिना विलंब किए अब यहीं पर बैठकर निर्णय करे। सरकार अगर सोच रही है मामला नौवीं सूची में चला जाएगा तो कोर्ट उसकी समीक्षा नहीं करेगा, तो यह गलत है। 2007 में सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय आ चुका है, जिसमें कोर्ट ने साफ कहा है नौवीं सूची में डाले जाने के बाद भी कोर्ट उसकी समीक्षा कर सकती है।
यह नीति ही अव्यवहारिक :
मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार ने 2021 में जो नियोजन नीति बनाई थी, उसमें प्रावधान किया गया था कि जो युवा 10वीं और 12वीं झारखंड से करेंगे, वही झारखंड में नौकरी के लिए योग्य होंगे। जो झारखंड के बाहर से पढ़ कर आएंगे वे इसके योग्य नहीं होंगे। एक प्रकार से यह नीति ही अव्यवहारिक थी। दूसरा उसमें हिंदी और अंग्रेजी को समाप्त करके उर्दू को प्राथमिकता दी गई थी। इन दो मुद्दों को लेकर लोग हाईकोर्ट चले गए थे, और हाईकोर्ट ने भी सरकार के इस निर्णय को निरस्त कर दिया।
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