रांची : रांची में अब गूगल, विप्रो और टीसीएस जैसी विश्व की टॉप टेक कंपनियों के कॉर्पोरेट ऑफिस जल्द ही खोलने की तैयारी चल रही है। जिसके लिए 100 एकड़ जमीन का इस्तेमाल किया जायेगा। वहीं इन्फोर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अनुसार इंफोसिस, टेक महिंद्रा आदि से भी बातचीत चल रही है। सरकार का लक्ष्य है कि रांची को भी, बेंगलुरु और पुणे जैसे शहरों की तरह एक आईटी हब बनाया जाए।
आईटी सेक्टर के इस विस्तार से अगले पाँच सालों में 50 हजार से ज़्यादा युवाओं को सीधा रोजगार मिलने की भी उम्मीद जताई जा रही है, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को फायदा पहुंचेगा। इससे होटल, ट्रांसपोर्ट और रियल एस्टेट जैसे सेक्टरों को भी बढ़ावा मिलेगा।
बता दें कि सरकार ने आईटी पॉलिसी-2025 भी लागू की है, जिसके तहत आइटी कंपनियों को निवेश के लिए टैक्स में छूट और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी। इसके अलावा, युवाओं को रोजगार के लिए ट्रेनिंग देने पर भी ध्यान दिया जायेगा।
अमेरिका की H-1B वीज़ा नीति में बदलाव से भारत का आईटी उद्योग प्रभावित हो सकता है। बता दें कि बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक H-1B वीज़ा पर अमेरिका में काम करते हैं। नई नीतियों के कारण कंपनियों को सालाना करोड़ों डॉलर का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है, जिससे वे H-1B वीज़ा पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए मजबूर होंगी।
इस बदलाव के कारण, भारतीय और अमेरिकी टेक कंपनियाँ अपने काम को भारत के टियर-2 शहरों में स्थानांतरित कर सकती हैं। रांची और जमशेदपुर जैसे शहर इन कंपनियों के लिए नए केंद्र बन सकते हैं। इससे राज्य की अर्थव्यावस्था को भी बढ़ावा मिलेगा और युवाओं को भी नये अवसर मिलेंगे।
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