
जब तक मेरी जान है तब तक मेरी आवाज को कोई दबा नहीं सकता,अपने हक अधिकार की लड़ाई जारी रहेगी-निशा भगत
आदिवासी समाज अब जागरूक हो चुका है और किसी भी गलत प्रयास का विरोध करेगा- विक्की कुमार धान
हजारीबाग-
कुडमी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने की मांग के विरोध में हजारीबाग के सरहुल मैदान में 17 नवम्बर को आदिवासी केंद्रीय सरना समिति की अगुवाई में उलगुलान जन आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष महेंद्र बेक ने की, जबकि संचालन कार्यकारी अध्यक्ष मनोज टुडू के साथ पवन तिग्गा, विक्की कुमार धान, मनोज भोक्ता, विजय भोक्ता, सहदेव किस्कू और फुलवा कच्छप ने संयुक्त रूप से संभाला। सुबह से ही हजारीबाग के साथ-साथ रामगढ़, बोकारो, धनबाद, गिरिडीह और रांची जिलों से भारी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग पारंपरिक पोशाक और वाद्ययंत्रों के साथ सरहुल मैदान में जुटने लगे। निर्धारित मार्ग के अनुसार जुलूस सरहुल मैदान से निकलकर पंच मंदिर, झंडा चौक, इंद्रपुरी चौक, जिला चौक, बिरसा मुंडा चौक और सिद्धू-कानू चौक होते हुए पुनः सरहुल मैदान लौटा। वहीं सभा में कई वक्ताओं ने कुडमी समुदाय की एसटी मांग को राजनीतिक प्रयास बताते हुए विरोध दर्ज किया। ज्योत्स्ना केरकेट्टा ने अपने वक्तव्य में समुदाय की मांग को अवसरवाद से जोड़ते हुए कहा कि लाभ जहां दिखाई देता है, समुदाय उसी दिशा में मुड़ जाता है। केंद्रीय महिला अध्यक्ष निशा भगत ने कहा कि उनकी आवाज़ कोई दबा नहीं सकता और हक-अधिकार की लड़ाई निरंतर जारी रहेगी। शशि पन्ना ने दावा किया कि संविधान के विभिन्न विभागों ने पहले भी यह मांग खारिज की है और इतिहास में भी आदिवासी व कुर्मी समुदायों में समानता नहीं पाई जाती। फूलचंद तिर्की ने कहा कि कुडमी और कुर्मी एक ही समुदाय हैं तथा कुर्मी समाज के लोग कुडमी नाम देकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। जबकि सचिव सह मीडिया प्रभारी विक्की कुमार धान ने कहा कि यह मांग आदिवासी समाज के एकता और अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश है, जबकि आदिवासी समाज अब जागरूक हो चुका है और किसी भी गलत प्रयास का विरोध करेगा। महासचिव संजय तिर्की ने जनसैलाब को आदिवासी समाज की एकजुटता का प्रमाण बताया। रैली से पहले दो महत्वपूर्ण बैठकें 2 नवम्बर और 9 नवम्बर 2025 को सरहुल मैदान स्थित धूम कुड़िया भवन में हुई थीं। पहली बैठक की अध्यक्षता पूर्व अध्यक्ष जगन कच्छप ने और संचालन का दायित्व मनोज टुडू ने संभाला। दूसरी बैठक की अध्यक्षता महेंद्र बेक ने की। इन बैठकों में 16 प्रखंडों के प्रतिनिधि, विभिन्न सामाजिक संगठन, जनप्रतिनिधि, पाहान एवं बुद्धिजीवी शामिल हुए। दोनों बैठकों में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 17 नवम्बर को हजारीबाग में आदिवासी जन आक्रोश महारैली की जाएगी, जिसमें झारखंड के सभी जिलों से प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा। रैली की तैयारी के लिए सभी प्रखंडों से प्रभारी नियुक्त किए गए और जिलेभर के सामाजिक संगठनों ने इसमें सहयोग किया।सभा और रैली के पश्चात विभिन्न प्रतिनिधि पैदल मार्च करते हुए डीसी कार्यालय पहुँचे और वहाँ कुडमी समुदाय को एसटी सूची में शामिल न करने की मांग से संबंधित ज्ञापन सौंपा। पूरा कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हुआ और उपस्थित संगठनों ने आगे भी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर एकजुट होकर आवाज़ उठाने का संकल्प प्रकट किया।
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