रामगढ़ जिले के श्री अग्रसेन स्कूल, भुरकुंडा में आज सोमवार को साहित्य साधक मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर प्रेमचंद की रचनाओं और उनकी जीवनी पर आधारित निबंध, कविता, पोस्टर, स्पीच, नाट्य प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में विद्यार्थियों और शिक्षकों ने मुंशी प्रेमचंद की विभिन्न कहानियों, उपन्यास, कविताओं की आधुनिक समय में प्रासंगिता पर चर्चा की। एंजल वर्मा, साक्षी गोस्वामी, अनुष्का कुमारी, आंचल कुमारी, आर्यन कुमार महतो, माही कुमारी, फरहीन अफसरा, प्रिया कुमारी, मीत कौर, अंकित कुमार, तेजस्वी कुमार, श्रावणी कौशल ने प्रेमचंद की कहानियों से समाज को मिलने वाले संदेश को बताया।
अपने संबोधन में स्कूल के निदेशक प्रवीण राजगढ़िया ने कहा कि हिंदी केवल एक विषय ही नहीं बल्कि जीवन शैली है। मुंशी प्रेमचंद को उनके प्रेरक उद्धरण और अनूठी लेखन शैली के लिए याद किया जाता है।वे समाज के एक सजग प्रहरी थे। प्रेमचंद आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे स्वतंत्रता-पूर्व युग के दौरान थे। उनका साहित्य, उनके द्वारा लिखे गए पात्र, जिन समस्याओं के बारे में उन्होंने बात की है, हम अभी भी उन पर काबू पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। चाहे वह गरीबी हो या भेदभाव हो।
प्राचार्य विवेक प्रधान ने कहा कि हम प्रेमचंद को याद कर उनके विचारों से बहुत कुछ सीखते हुए समाज को दिशा दे सकते हैं। उनके उपन्यास व कहानियों में सच्चाई व जीवन के अनुभव की झलक मिलती है। उनकी रचना का परिवेश ज्यादातर ग्रामीण रहा है। प्रेमचंद ने अपनी लेखनी से 15 उपन्यास, 300 से अधिक कहानियां, 10 अनुवाद, 7 बाल पुस्तकें लिखी। प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद का साहित्य आज भी प्रासंगिक है। कार्यक्रम का संचालन शिक्षिका दीपिका तिवारी ने किया।
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