रांची: जिले के सिल्ली, बुंडू और सोनाहातू क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध बालू खनन और उसके परिवहन के खिलाफ अबुआ अधिकार मंच ने विरोध जताया है. मंच ने रांची के उपायुक्त, जिला उपमहानिरीक्षक सह वरीय पुलिस अधीक्षक और जिला खनन पदाधिकारी को पत्र सौंपकर सख्त कार्रवाई की मांग की है. अबुआ अधिकार मंच का कहना है कि इस अवैध खनन के कारण नदियों के अस्तित्व पर संकट गहरा गया है, जिससे पुल और पुलियों को नुकसान पहुंच रहा है. इसके अलावा, हाथी कॉरिडोर पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका बढ़ गई है. मंच ने आरोप लगाया कि इस गैरकानूनी गतिविधि से सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, जबकि स्थानीय प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.
नदियों के अस्तित्व पर संकट, ग्रामीणों को भारी दिक्कतें मंच के अनुसार, सिल्ली, बुंडू और सोनाहातू क्षेत्र की नदियां अवैध खनन के कारण विलुप्ति के कगार पर पहुंच रही हैं. कई पुल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिससे ग्रामीणों को आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा, बालू के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है. स्थानीय घाटों से महज ₹5,000 में निकलने वाला बालू रांची पहुंचते-पहुंचते ₹45,000 तक महंगा हो जाता है, जिससे आम जनता को आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है.
ग्रामीणों को धमकाने के आरोप अबुआ अधिकार मंच ने प्रशासन को भेजे पत्र में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जो ग्रामीण अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, उन्हें धमकाया जा रहा है. मंच का दावा है कि सोनाहातू थाना प्रभारी अवैध बालू खनन कारोबार को समर्थन दे रहे हैं और ग्रामीणों को डराने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उजागर न करें. प्रशासन से उच्चस्तरीय जांच की मांग अबुआ अधिकार मंच ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने की मांग की है. मंच ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे.
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