झारखंड : हूल के नायक सिदो-कान्हू की आज जयंती है. 11 अप्रैल 1815 को भोगनाडीह में सिदो मुर्मू का जन्म हुआ था. सिदो-कान्हू जयंती समारोह छठीहार महा के रूप में मनाया जाता है. यह दिन 1855 के उस संघर्ष की याद दिलाता है, जब अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने वाले सिदो का जन्म हुआ था. हर साल 11 अप्रैल को यह धरती उनकी जयंती के उत्सव में सराबोर हो जाती है. सिदो-कान्हू जयंती कोई साधारण समारोह नहीं, बल्कि उस सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो पीढ़ियों से संताल समाज की पहचान रही है. यह उत्सव बताता है कि इतिहास की डोर कभी टूटती नहीं, बस उसे नये रंगों से सजाया जाता है.
इस छठीहार महा में शामिल होने के लिए नेपाल, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और ओडिशा से संताल समाज के लोग क्रांति स्थल पंचकठिया पहुंचे हैं. वहां परिक्रमा करने के बाद अरगोडी मैदान स्थित मांझी थान एवं जाहेर थान में पूजा-अर्चना शुरू की गयी. गुरु बाबा मुगलू मरांडी और अब्राहम मरांडी के नेतृत्व में गुरुवार की देर रात पूजा-अर्चना शुरू हुई.
सीएम हेमंत सोरेन ने ‘X’ पर पोस्ट कर कहा- हूल विद्रोह के महानायक अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू जयंती पर शत-शत नमन। आज वीर महानायकों की जयंती के अवसर पर भोगनाडीह की क्रांतिकारी भूमि आने का परम सौभाग्य मिलेगा। हूल जोहार! झारखण्ड के वीर शहीद अमर रहें! जय झारखण्ड!
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