हजारीबाग कटकमसांडी रेलवे स्टेशन के कोल यार्ड में दो वर्षो बाद फिर से कोल डंपिंग कार्य शुरू हो गया है। न केवल कोल डंपिंग से उड़ रहे डस्टों से आसपास के लोग परेशान दिख रहे हैं। बल्कि वाहनो के परिचालन से सड़को पर उड़ रहे धूल कण से राहगीरों व विद्यार्थियों को भी फजीहतों का सामना करना पड़ रहा है। इस बाबत सैकड़ो ग्रामीणों ने कोल डंप को बंद कराने हेतु बीडीओ, सीओ व थानाप्रभारी को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन मे कहा गया है कि कोल डंपिंग से आसपास के इलाके में प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। खेत मे लगे फसलों को भारी नुकसान होना शुरू हो गया है। सैकड़ो हाइवा व ट्रकों से कोयले की डंपिंग से लोगों के रातों की नींद व दिन का चैन छिन गया है। यह भी कहा गया कि डंपिंग यार्ड से महज सौ गज की दूरी पर आदिम जनजातियों का मकान है, जहां तकरीबन दो सौ बिरहोरों का निवास स्थान है। बिरहोर टंडा में स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र हैं। रोज ट्रकों व हाइवा से डंप किए जा रहे कोल डस्टों से इन बिरहोरों व उनके बच्चों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। मालुम हो कि नियमानुसार कोल डंपिंग यार्ड में उड़ते कोल डस्टों को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव करना जरूरी है। मगर यहां उक्त नियमों की लगातार अनदेखी की जा रही है। ज्ञापन में लोगों ने कोल डंप बद नही होने की स्थित में उग्र आंदोलन की बात कही है। ज्ञापन में पूर्व उपमुखिया अरुण कुमार पांडेय, राजेश कुमार, भरत पांडेय, भुवनेश्वर पांडेय, उमेश राणा, दिलीप प्रसाद केसरी, महावीर राम, मुकेश ठाकुर, अनवर हुसैन, कृष्णदेव पांडेय, बलदेव कुमार, रेखा देवी, सोनिया देवी, रागिनी देवी, सरिता देवी, बबीता देवी सहित दर्जनों महिला पुरूषों का नाम शामिल है।

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