जीएम संध्याकालीन महाविद्यालय इचाक के भूगोल विभाग के सेमेस्टर छ: के विद्यार्थियों के बौध्दिक विकास के लिए शैक्षणिक भ्रमण कराया गया। महाविद्यालय के सचिव शंभू कुमार ने शैक्षणिक भ्रमण के लिए हरी झंडी दिखाकर बस को रवाना किया। इस शैक्षणिक भ्रमण का मुख्य उद्देश्य पर्यटन का पर्यावरण पर प्रभाव था शैक्षणिक भ्रमण में विद्यार्थियों को नेतरहाट के विभिन्न पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराया गया, साथ में बच्चों को पर्यटन का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव से अवगत कराया गया तथा पर्यावरण संरक्षण के बारे में भी जानकारी दी गई विभागीय शिक्षक प्रो.दीपेंद्र कुमार ने कहा कि प्लास्टिक के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले रसायन शरीर के लिए विषाक्त और हानिकारक है। प्लास्टिक के इस्तेमाल से सीसा, कैडमियम और पारा जैसे रसायन सीधे मानव शरीर के संपर्क में आते हैं। ये जहरीले पदार्थ कैंसर, जन्मजात विकलांगता, इम्यून सिस्टम और बचपन में बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकते है। प्लास्टिक कभी समाप्त न होने वाली वस्तु है तथा यह मिट्टी में रहकर मिट्टी की उर्वरता को समाप्त करती है एवं लम्बे समय तक विषैली गैस उत्सर्जित करती है इसीलिए सिर्फ पर्यटन केंद्रों में ही नहीं बल्कि आवश्यकता है कि पूरी तरह से प्लास्टिक को बैन कर दिया जाए तभी स्वस्थ पर्यावरण की कल्पना की जा सकती है। प्रो. रियाज अहमद के द्वारा बताया गया कि पर्यावरण संरक्षण वायु, जल, भूमि या पारिस्थितिकी तंत्र की गुणवत्ता को बनाए रखकर प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करने का अभ्यास है। मनुष्य का अपने पर्यावरण पर जो प्रभाव पड़ता है वह प्राकृतिक पर्यावरण के लिए समस्याएँ पैदा करता है। पर्यावरण संरक्षण का प्राथमिक उद्देश्य प्राकृतिक जगत के स्वास्थ्य को बनाए रखना है, जिसमें मत्स्य, पर्यावास और जैव विविधता शामिल है। इसका द्वितीय उद्देश्य पदार्थ और ऊर्जा का संरक्षण है, जिसकी प्राकृतिक जगत को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका है। इस शैक्षणिक भ्रमण में नकुल कुमार, राम कुमार, विकास कुमार, आकाश कुमार, रितिक कुमार,काजल कुमारी,सोमिया कुमारी,लिलि कुमारी, मनीषा कुमारी,रौशन कुमार,पूजा कुमारी के आलावा बहुत सारे विद्यार्थियों ने भाग लिया।

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