हजारीबाग कटकमसांडी वन आश्रयणी स्थित जंगलों में दो किमी. रेडियस में लगी आग से सैकड़ों पेड़ पौधे झुलस रहे हैं। आग बुझाने मे लगे वन कर्मियों की कोशिश फिलहाल नाकामयाब दिख रहा है। वनकर्मी फायर कंट्रोल मशीन से एक ओर आग बुझाने की कोशिश करते हैं, तो दूसरी ओर आग की लपटें फैलती जा रही है। आग फिलहाल हरहद व बरकाकरम जंगल में लगी है। यह आग कटकमसांडी हजारीबाग मुख्य पथ से सटकर दूर तक फैल चुकी है। हर साल आग के चपेट में आने से सैकड़ो पेड़ पौधों सहित जंगली जीव जंतुओं को प्रभावित होना पड़ रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक इस वर्ष महुआ फूल चुनने के दौरान कहीं से भी जंगल में आग लगने की खबर नही है। मगर एक सप्ताह से जंगल में लगी आग के कारणों का पता किया जा रहा है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि सड़क से गुजरने वाले राहगीरों द्वारा बीड़ी व सिगरेट पीकर जलता सिगरेट यहां वहां फेके जाने के कारण ही जंगलों में आग लगी है। या फिर चरवाहों द्वारा माचिस के तिल्ली से खर पतवार में आग लगाए जाने आगजनी की घटना की पुनरावृत्ति हो रही है। दूसरी ओर मैन पावर की कमी के कारण भी जंगल मे लगी आग पर काबू पाने में असमर्थता जताई जा रही है। बता दें कि कटकमसांडी प्रखंड क्षेत्र के पश्चिमी जंगली क्षेत्र पश्चिमी वन प्रमंडल के अधीन है, जिसका डीएफओ, रेंजर, फॉरेस्टर व वनरक्षी अलग से नियुक्त है। जबकी प्रखंड मुख्यालय के पूर्वी क्षेत्र वन आश्रयणी के अधीन है, जिसका डीएफओ, रेंजर, वनपाल व वनरक्षी अलग से नियुक्त है। ग्रामीणों की मानें तो इन जंगली क्षेत्र वनरक्षियों के जिम्मे है। यहां कभी भी डीएफओ व रेंज आफिसरों की चहलकदमी नही होती है। अधिकारियों द्वारा वन क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों की सुधि तक नही ली जाती है। अधिकारी अपने कार्यालयों का शोभा बढ़ाने में लगे हैं और जंगल में आग धधक रहा है। आग बुझाने मे नही बल्कि आग लगने की रिपोर्ट जुटाने मे अधिकारी व्यस्त हैं। बहरहाल, विगत एक सप्ताह के भीतर वाइल्ड लाइफ मे लगी आग से सैकड़ो नही, बल्कि हजारों की संख्या मे पौधे जल चुके हैं। आग के लपटो के धुआं से आसपास के क्इलाकों में पर्यावरण प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। मालुम हो कि पूर्व में गठित वन सुरक्षा व संरक्षण समिति एवं इको वन विकास समिति के सदस्यों द्वारा भी आग पर काबू पाने की कोई कोशिश नहीं किए जाने से जंगलों की स्थिति गंभीर है। वन विभाग को चाहिए कि नए समिति को गठित कर वनों की सुरक्षा व संरक्षण को बढ़ावा दिया जाए। ताकि वनकर्मियों के साथ कदम से कदम मिलाकर वनो की सुरक्षा की जाए।

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