जामताड़ा : जामताड़ा जिले में 1980 में बोल्डर के सहारे बना दक्षिण बहाल का महत्वपूर्ण पुल मंगलवार, 29 जुलाई को पूरी तरह से ध्वस्त हो गया, जिससे सैकड़ों गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह से कट गया है। यह पुल जामताड़ा जिले की लाइफलाइन था, और इसके टूटने से क्षेत्र के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
बता दें कि यह पुल 18 जुलाई को भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके बाद इस पर सिर्फ छोटे दोपहिया वाहनों की आवाजाही हो रही थी। 11 दिन बाद, आज 29 जुलाई को यह पुल पूरी तरह से टूट गया।
पुल के टूटने से यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया है। पहले जो लोग आधा किलोमीटर की दूरी तय करके जिला मुख्यालय, सदर अस्पताल, केंद्रीय विद्यालय, आईटीआई और सेंट एंथोनी स्कूल पहुंचते थे, अब उन्हें 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय करना होगा।
पुल टूटने से सबसे ज्यादा प्रभावित छात्र-छात्राएं हैं। पुल टूटने के कारण सैकड़ों छात्र-छात्राएं स्कूल और कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं, जिससे उनकी शिक्षा बाधित हो रही है। इसके अलावा दिहाड़ी मजदूरों की समस्या भी बढ़ गई है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में इस क्षेत्र के लोग दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए शहर जाते थे, लेकिन अब वे काम पर नहीं जा पा रहे हैं, जिससे उनकी आजीविका पर संकट आ गया है। मरीजों को भी सदर अस्पताल पहुंचने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
यह पुल जामताड़ा और देवघर को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण पुल था, जिससे प्रतिदिन हजारों की संख्या में दोपहिया और भारी वाहनों का परिचालन होता था। यह जिला मुख्यालय का लाइफलाइन पुल था। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से जल्द से जल्द वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है, ताकि क्षेत्र के लोगों को जिला मुख्यालय जाने में सहूलियत हो सके। उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से नए पुल के निर्माण की भी मांग की है। पुल टूटने की सूचना मिलने पर प्रशासन मौके पर पहुंचा और लोगों को क्षतिग्रस्त पुल के समीप जाने से रोक रहा है। नदी में तेज पानी का बहाव है, जिससे किसी भी तरह की दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।
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