झारखंड हाई कोर्ट में JSSC सीजीएल-2023 परीक्षा में कथित पेपर लीक की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखा गया। अब याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें 29 अक्टूबर को पेश की जाएंगी। अदालत ने फिलहाल परीक्षा परिणाम के प्रकाशन पर रोक को बरकरार रखा है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि अब तक की जांच में पेपर लीक के कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं। कोर्ट के निर्देश पर संतोष मस्ताना से दोबारा पूछताछ की गई, जिसमें उन्होंने बताया कि एक बैंककर्मी युवती से बातचीत के दौरान उन्हें लगा कि पेपर लीक हुआ है, क्योंकि कुछ प्रश्न पहले भी परीक्षाओं में आ चुके थे। लेकिन बाद में यह स्पष्ट हुआ कि वह केवल गेस पेपर था, न कि असली प्रश्नपत्र।
सरकार की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि अगर पेपर लीक हुआ होता तो लीक की सूचना मिलने वाले जिलों में सर्वाधिक अभ्यर्थी सफल होते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उदाहरणस्वरूप, धनबाद में अपेक्षाकृत कम अभ्यर्थी सफल हुए हैं, जबकि वहीं से लीक की खबर सामने आई थी। सरकार ने कोचिंग संस्थानों पर झूठी अफवाहें फैलाने का आरोप लगाया। वहीं दूसरी ओर, चयनित अभ्यर्थियों ने परीक्षा परिणाम जारी करने की मांग की, लेकिन समयाभाव के चलते अदालत ने इस पर अगली सुनवाई की तिथि तय करते हुए फिलहाल रोक को जारी रखा।
प्रार्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार और समीर रंजन ने पक्ष रखा। याचिकाकर्ता प्रकाश कुमार व अन्य ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर पेपर लीक की गंभीरता से जांच कराने की मांग की है। गौरतलब है कि सीजीएल-2023 की प्रारंभिक परीक्षा 28 जनवरी 2024 को हुई थी, जिसे पेपर लीक की शिकायत के बाद रद्द कर दिया गया था। इसके बाद 21 और 22 सितंबर 2024 को दोबारा परीक्षा आयोजित की गई, लेकिन उसमें भी लीक की आशंका जताई गई थी, जिसके चलते मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा।
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