रांची : इस दो दिवसीय कार्यक्रम में 47 देशों से महिला नेता और प्रतिनिधि शामिल हुए। इसका उद्देश्य महिलाओं के राजनीतिक नेतृत्व को सशक्त करना, लैंगिक समानता और वैश्विक शांति को बढ़ावा देना तथा डिजिटल दुनिया में सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना था।
अपने प्रभावशाली संबोधन में मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने “Technology-Facilitated Gender-Based Violence” — यानी तकनीक के माध्यम से होने वाली लैंगिक हिंसा, को रोकने में संसद और नीतिगत ढांचे की अहम भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “डिजिटल दुनिया, जो कभी सशक्तिकरण का साधन थी, अब कई बार भय और उत्पीड़न का माध्यम बन रही है। यह केवल व्यक्तिगत सुरक्षा का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती का भी प्रश्न है।”
मंत्री ने साझा किया कि भारत में 2022 में 85% महिलाओं ने ऑनलाइन उत्पीड़न, 54% ने तकनीक आधारित हिंसा, और 65% ने मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव का अनुभव किया। लेकिन, केवल 30% महिलाएँ ही शिकायत दर्ज कराने का साहस जुटा पाती हैं — जो सामाजिक कलंक और भरोसे की कमी को दर्शाता है।
उन्होंने डिजिटल हिंसा से निपटने के लिए तीन स्तंभों पर आधारित रणनीति प्रस्तुत की:
1. शिक्षा: डिजिटल साक्षरता, ऑनलाइन सुरक्षा और मीडिया जागरूकता को स्थानीय स्तर तक पहुँचाना।
2. जवाबदेही: कानूनों को सशक्त बनाना, प्लेटफ़ॉर्म्स की जिम्मेदारी तय करना और पुलिस व साइबर सेल को लैंगिक दृष्टिकोण से प्रशिक्षित करना।
3. सशक्तिकरण: महिलाओं की नीति-निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित करना, पुरुषों को साझेदार बनाना और सामुदायिक अभियानों जैसे CTRL+SHIFT+RESPECT को बढ़ावा देना।
मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि भारत UNFPA, IPU और अन्य वैश्विक संगठनों के साथ मिलकर ऑनलाइन हिंसा रोकने की दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने 16 Days of Activism जैसे अभियानों को डिजिटल अधिकारों और महिलाओं की सुरक्षा के प्रतीक के रूप में रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, “महिलाओं की ऑनलाइन सुरक्षा केवल व्यक्तिगत सुरक्षा नहीं, बल्कि समाज, लोकतंत्र और समानता की रक्षा का प्रश्न है। जब महिलाएँ सुरक्षित होंगी, तभी वे निर्भीक होकर नेतृत्व करेंगी और समाज में समान भागीदारी सुनिश्चित करेंगी।” इस वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने स्पष्ट संदेश दिया — “सुरक्षित डिजिटल दुनिया, समान और सशक्त समाज की आधारशिला है।”
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