प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अपनी बहुप्रतीक्षित पांच देशों की विदेश यात्रा पर रवाना हो गए हैं। यह दौरा 2 जुलाई से शुरू होकर 9 जुलाई तक चलेगा। इस एक सप्ताह की यात्रा में वे अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र के महत्वपूर्ण देशों, घाना, त्रिनिदाद-टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया का दौरा करेंगे।
यात्रा का सबसे प्रमुख पड़ाव ब्राजील रहेगा, जहां प्रधानमंत्री मोदी 6 और 7 जुलाई को आयोजित होने वाले 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस सम्मेलन में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ नए सदस्य देशों की भागीदारी भी देखी जाएगी। सम्मेलन का मुख्य फोकस वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के बीच सहयोग, विकास और समानता के मुद्दों पर होगा।
वैश्विक दक्षिण पर केंद्रित एजेंडा
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को भारत की ‘वैश्विक दक्षिण की आवाज़’ बनने की नीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। भारत बीते कुछ वर्षों में विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ साझेदारी को मज़बूती देने पर जोर देता रहा है। खासकर दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के देशों के साथ व्यापार, तकनीक, ऊर्जा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की दिशा में भारत लगातार सक्रिय है।
प्रधानमंत्री की घाना और नामीबिया यात्रा अफ्रीकी रणनीति के तहत अहम मानी जा रही है, जबकि त्रिनिदाद-टोबैगो जैसे कैरिबियाई देश के साथ सांस्कृतिक और प्रवासी भारतीयों से जुड़े संबंधों को नया बल मिलने की संभावना है। वहीं अर्जेंटीना की यात्रा से भारत-लैटिन अमेरिका संबंधों को नई गति मिलने की उम्मीद है।
साझेदारी, निवेश और संवाद
इस दौरान प्रधानमंत्री कई द्विपक्षीय बैठकों में हिस्सा लेंगे। माना जा रहा है कि इन दौरों के जरिए भारत ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य आपूर्ति, स्टार्टअप सहयोग, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक शासन में सुधार जैसे मसलों पर साझा रणनीति बनाने की दिशा में काम करेगा।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा सिर्फ राजनयिक शिष्टाचार तक सीमित नहीं, बल्कि भारत के दीर्घकालिक वैश्विक हितों को आकार देने की दृष्टि से बेहद अहम है। प्रधानमंत्री मोदी ने रवाना होने से पहले एक बयान में कहा कि यह दौरा भारत के साझेदार देशों के साथ विकासोन्मुख संवाद को गहरा करेगा और ब्रिक्स जैसे मंच पर भारत की भूमिका को और मजबूत बनाएगा।
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