ज़मायत-ए-इस्लामी हिंद के 75 वें वर्षगांठ पर प्रेस वार्ता का आयोजन
हजारीबाग–वर्ष 1948 में इलाहाबाद में स्थापित जमायत-ए-इस्लामी हिंद का उदेश्य ईश्वरीय मार्गदर्शन व उसके आदेशों को व्यक्तिगत एवं सामुहिक जीवन में पूर्ण रूप से आत्मसात करना है। यह कभी भी ऐसे तरीकों को नही अपनाती है, जो सच्चाई व ईमानदारी के विरूद्ध है। उक्त बातें बतौर मुख्य अतिथि सह इस्लामी एकेडेमी, नई दिल्ली के चेयरमैन व जमायत-ए-इस्लामी हिंद के एडवायजरी कमिटी के सदस्य डॉ. हसन रज़ा ने लोहसिंघना स्थित अलमनार लाइब्रेरी में रविवार को हजारीबाग इकाई द्वारा आयोजित प्रेस काफ्रेंस में कही। उन्होने आगे कहा कि जमायत-ए-इस्लामी हिंद अपने कार्यों के माध्यम से लोगों की मानसिकता, दृष्टिकोण, चरित्र व नैतिकता में सुधार लाने के लिए प्रयासरत है। इसका मकसद हर तरह के शोषण, सामाजिक भेदभाव, जुल्म को समाप्त कर एक ऐसे समाज का नवनिर्माण करना है, जहां अमन व शांति व मुल्क की उन्नति हो। साथ ही वंचित वर्गो को न्याय मिल सके। साम्प्रदायिक सौहार्द का मिसाल कायम हो सके और सामाजिक भेदभाव व शोषणमुक्त समाज का निर्माण हो सके। कहा कि जमायत-ए-इस्लामी हिंद गरीबी बीमारी, अशिक्षा, भूख व बेरोजगारी के उन्मूलन के दिशा में वर्षो से संघर्षरत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. ए.ए. फारूकी ने बताया कि जमायत-ए-इस्लामी हिंद के 75 वें सालगिरह पर इस वर्ष 16 दिसंबर 2022 से 14 अप्रैल 2023 तक पूरे भारत में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें नैतिकता के पाठ, बालिका शिक्षा का बढ़ावा, समानता पर जोर, हिंदू मुस्लिम एकता पर बल, शोषण के खिलाफ आवाज व सामाजिक व आर्थिक असमानता पर रोक, युवाओं में नैतिकता के पाठ पर जोर आदि विषय को शामिल किया गया है।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार डॉ. जफर उल्लाह सादिक ने बताया कि जमात-ए- इस्लामी का उद्देश्य समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना, मीडिया से मुखातिब होकर उन्होंने मीडिया की महती भूमिका को बताते हुए कहा कि कलम लिखने की ताकत रखता है। समाज की बेहतरी के लिए मीडिया में नैतिक मूल्यों का विकास अहम है। गलत चीजों के प्रचार प्रसार से मीडिया को सदैव बचना चाहिए।
प्रेस वार्ता में मंच संचालक साहिद ज़माल, शबाहत हुसैन, प्रोफ़ेसर रिजवान अहमद, मतीन अंजुम, एजाज अहमद, इरफान, मौलाना नसीरुद्दीन, मुस्तफा, खैरूल अहमद आदि मौजूद थे।
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