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गोला(रामगढ़)। गोला(प्रधानटोला) निवासी प्राणेश कुमार(70वर्ष) का लम्बी बिमारी के बाद गुरुवार की सुबह राँची में निधन हो गया। ज्ञात हो कि उनकी माता का देहांत गत 11 फरवरी को हो गया था तथा आज उनका दशकर्मा था लेकिन विधि का विधान कौन टाल सकता है। उनका अग्निसंस्कार आज धोरधोरा मुक्तिधाम में किया गया। मुखाग्नि उनके पुत्र पुनर्वशु ने दी। स्व. प्राणेश अपने पीछे पत्नी, एक पुत्री एवं एक पुत्र सहित भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।
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◆सांस्कृतिक प्रतिभा के थे धनी
प्राणेश कुमार हिंदी साहित्य के प्रमुख प्रगतिशील – जनवादी कवि हैं। इनकी कविताओं में जनसंवेदना सामाजिक विद्रूपता, राजनीति के दंश और जनवादी चेतना देखने को मिलती है। लगभग पाँच दशकों से लेखन में सक्रिय प्राणेश कुमार की अब तक दस कविता संग्रह, एक गीत संग्रह, एक गजल संग्रह और दो लघुकथाओं की पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकेअलावा इन्होंने दर्जन भर पुस्तकों का संपादन भी किया है। इनके पिता हिंदी साहित्य के प्रमुख कहानीकार थे। उन्होंने वर्षों दक्षिण बिहार के प्रमुख साप्ताहिक – ‘छोटानागपुर दर्पण‘ का संपादन किया। जाहिर है प्राणेश कुमार पर भी अपने पिता की साहित्यिक अभिरुचि का गहन प्रभाव पड़ा और वे लेखन की ओर खिंचते चले गए। इनकी पहली रचना संभवतः 1973 में प्रकाशित हुई, इसके पश्चात इनकी रचनाएं देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रही हैं। उनके प्रकाशित रचनाओं को “एमेजॉन” में उपलब्ध है।
उनके निधन पर अभाकाम के जिला अध्यक्ष अरुण कुमार सिन्हा, राष्ट्रीय सचिव अमित सिन्हा, गोला चित्रगुप्त महापरिवार के अध्यक्ष सनत कुमार सिन्हा, सचिव रविन्द्र कुमार सिन्हा, बिपीन बिहारी प्रसाद, अजीत कुमार सिन्हा, धीरेन्द्र नारायण बक्शी, कुँवर कुमार बक्शी, प्रदीप चन्द्र लाला, सुमन कुमार सिन्हा, अनुप कुमार सिन्हा, सुजीत सिन्हा, रजनीश आनंद, सुचीत सिन्हा, बिपुल सिन्हा, मनीन्द्र सिन्हा, श्रीकांत गोविंद, शैलेन्द्र सिन्हा, बिरेंद्र सिन्हा, अमित सिन्हा ‘मंटी’,
सहित समाज के अन्य लोगों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।
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