झारखंड : झारखंड सरकार एसटी, एससी और ओबीसी वर्ग के छात्रों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी कर रही है। यदि केंद्र सरकार से समय पर या पूरी राशि नहीं मिलती है, तो राज्य सरकार खुद अपने संसाधनों से इन छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करेगी। इसके लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया गया है। अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा तैयार इस प्रस्ताव को मंत्री चमरा लिंडा और वित्त विभाग की मंजूरी मिल चुकी है। संशोधित योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा संचालित, अनुदान प्राप्त, मान्यता प्राप्त मदरसों, संस्कृत विद्यालयों और गैर सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 10 तक के छात्र-छात्राओं को इसका लाभ मिलेगा।
प्रस्ताव में चार मुख्य बिंदु हैं:
पहला यदि केंद्रांश की राशि समय पर नहीं मिलती है, तो छात्रवृत्ति राज्य सरकार देगी।
यदि केंद्र की निर्धारित छात्रवृत्ति दर राज्य की तुलना में अधिक है, तो केंद्र की दरें अपनाई जाएंगी।
यदि राज्य की दर अधिक है, तो उसे यथावत रखा जाएगा।
यदि राज्य सरकार चाहे तो केंद्र की दरों से ऊपर ‘टॉप-अप’ राशि भी दे सकती है।
छात्रवृत्ति की दरें इस प्रकार हैं
कक्षा 1–5: ₹1500 (छात्रावासी/दिवाकालीन दोनों के लिए)
कक्षा 6–8: ₹2500
कक्षा 9–10: ₹4500
इस योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला स्तर और राज्य स्तर पर प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट (PMU) गठित की गई है। छात्रवृत्ति पोर्टल के संचालन, वेतन, कार्यालय व्यय आदि के लिए कक्षा 1 से 8 की राशि का 2% प्रशासनिक व्यय के रूप में रखा गया है। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केंद्र से राशि मिलने या न मिलने की स्थिति में भी विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो और उन्हें समय पर छात्रवृत्ति मिलती रहे।
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