दलमा में एक बार फिर बाघ की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। डीएफओ सबा आलम अंसारी ने बताया कि यह बाघ लंबे समय से दलमा में रह रहा है और लगातार कॉरिडोर के माध्यम से आवाजाही कर रहा है। हालांकि, इसने दलमा का इलाका नहीं छोड़ा है, जो वाइल्डलाइफ संरक्षण के लिहाज से सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
बताया जा रहा है कि यह वही बाघ है, जिसे पहली बार 21 दिसंबर को चौका और चांडिल के बीच ग्रामीण इलाके में देखा गया था। इसके बाद यह पश्चिम बंगाल के इलाके में भी नजर आया और अब फिर दलमा में सुरक्षित है।
डीएफओ के अनुसार, दलमा में बाघ के लिए अनुकूल वातावरण और पर्याप्त शिकार उपलभ्ध है, जिससे उसे भोजन की कोई कमी नहीं हो रही है। वन विभाग ने बाघ की सुरक्षा को देखते हुए स्थानीय लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। साथ ही दलमा में निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि इंसान और वाइल्डलाइफ के बीच किसी भी तरह का टकराव टाला जा सके।
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